Live India24x7

Search
Close this search box.

यात्रियों पर आर्थिक भार:अब तक 45 ट्रेनों में स्लीपर-जनरल की जगह, 111 एसी इकाेनॉमी और एसी-3 कोच लगाए गए

45 ट्रेनों में से स्लीपर श्रेणी एवं जनरल कोच हटाए जाने से इन गाड़ियों में अब 200 तक वेटिंग चल रही है। रेलवे के इस फैसले से आम यात्रियों पर आर्थिक भार बढ़ा है। उन्हें वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में अधिकतम 40 फीसदी तक अतिरिक्त किराया देकर इकानॉमी या एसी-3 श्रेणी में रिजर्वेशन लेकर सफर करना पड़ रहा है। डीआरएम सौरभ बंदोपाध्याय का दावा है कि लोगों की पेइंग कैपेसिटी बढ़ी है, जिस वजह से ट्रेनों में स्लीपर व जनरल की संख्या कम कर एसी इकाेनॉमी और एसी-3 श्रेणी के कोच लगाए जा रहे हैं।

गरीब रथ के अलावा लंबी दूरी की ट्रेनों कोयंबटूर एक्सप्रेस, जीटी, केरल, प्रतापगढ़, जम्मूतवी, लखनऊ-पुणे सहित भोपाल रेल मंडल व पश्चिम-मध्य जोन से गुजरने वाली 45 ट्रेनों में 111 एसी इकानॉमी या एसी-3 श्रेणी के कोच एक साल में अब तक लगाए जा चुके हैं। जैसे-जैसे इनका प्रोडक्शन बढ़ रहा है, संख्या भी ट्रेनों में बढ़ाई जा रही है। ऐसे ही यह कोच लगातार बढ़ाए जाते रहे तो अगले तीन साल में ट्रेनों में जनरल कोच की संख्या नाममात्र की रह जाएगी। वहीं, जिन ट्रेनों में 12 तक स्लीपर श्रेणी के कोच लगाए जाते थे, वह भी आधे रह जाएंगे। रेल मंडल की उपयोगकर्ता व सलाहकार समिति के पूर्व सदस्य निरंजन वाधवानी का कहना है कि ट्रेनों में स्लीपर व जनरल कोच कम नहीं किए जाना चाहिए।

  • ऐसे ही ऐसी कोच बढ़ाए गए तो तीन साल में नाम मात्र के रह जाएंगे जनरल कोच।
  • स्लीपर श्रेणी के कोच भी हो जाएंगे आधे।

दोगुना तक बढ़ जाता है किराया

उदाहरण के लिए जीटी एक्सप्रेस की स्लीपर श्रेणी में भोपाल से नागपुर तक का सफर करने पर 550 रुपए लगते हैं। एसी इकाेनॉमी कोच में ये ही सफर 930 रुपए का पड़ रहा है। इस तरह करीब दोगुना तक किराया इकाेनॉमी कोच में सफर करने पर आम यात्री को भुगतना पड़ रहा है।

बर्थ ज्यादा हैं

एसी इकानॉमी श्रेणी के कोचों में बर्थ संख्या सामान्य एसी-3 श्रेणी से ज्यादा होती है। एसी-3 श्रेणी में बर्थ संख्या 64 होती है, जबकि इकाेनॉमी कोच में 68 से 70 तक होती है। इस वजह से एसी-3 के मुकाबले यात्रियों को ज्यादा रिजर्व बर्थ मिल जाती हैं।

वेटिंग तो बढ़ेगी

रेल अधिकारियों ने एसी इकाेनॉमी कोच लगने के बाद स्लीपर श्रेणी में वेटिंग बढ़ने की बात स्वीकार की है। उनका कहना है कि लोगों ने संबंधित ट्रेनों में लगने वाले एसी इकाेनॉमी कोचों में रिजर्वेशन करवाना शुरू कर दिया है। हालांकि स्लीपर कोच की संख्या कम होने से वेटिंग की नौबत जल्दी आ जाती है।

liveindia24x7
Author: liveindia24x7