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सत्य और स्नेह की प्रतीक थी मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती

 

रोशन भिलाला

तलेन. शनिवार को नगर के ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेवा केंद्र पर मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती जी की 58 वां पुण्यतिथि आध्यात्मिक ज्ञान
दिवस के रूप में मनाया गया जिसमें ब्रह्माकुमारी तेजस्वी दीदी ईश्वरीय परिवार से जुड़े हुऐ सभी भाई बहनों के द्वारा मातेश्वरी जी की प्रतिमा पर तिलक एवं माल्यार्पण कर दीप जलाकर श्रद्धांजलि अर्पित किया
दीदी ने मातेश्वरी (मम्मा) के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा वह त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति संस्था की प्रथम मुख्य प्रशासक जिनका अलौकिक नाम ओम राधे था । जिनको इस संस्था की अलौकिक नींव की दिव्य ईंट माना जाता है । जब-जब संसार में दिव्यता की कमी , धर्म की ग्लानि , समाज में अन्याय , अत्याचार , चरित्र में गिरावट व विश्व में अशांति के बीज पनपने लगते हैं । तब तब इन समस्त बुराइयों को समाप्त करने के लिए किसी महान विभूति का जन्म होता है इन्हीं में से एक महान विभूति थी – जगदंबा सरस्वती (मम्मा) जिनके अंदर सर्व गुणों की खान और मानवीय मूल्यों की विशेषताओं से संपन्न थी । मम्मा ने कभी किसी को मौखिक शिक्षा नहीं बल्कि अपने प्रैक्टिकल जीवन से प्रेरणा दी । इसी से दूसरों की जीवन में परिवर्तन आ जाता था । मम्मा के सामने चाहे कितने भी विरोधी , क्रोधी , विकारी आ जाते थे परंतु मम्मा की पवित्रता सौभ्याता व ममतामई दृष्टि से वह शांत हो जाता था और मां के कदमों में गिर पढ़ता था ।
उनकी सत्यता , दिव्यता एवं पवित्रता की शक्ति ने लाखों मनुष्य आत्माओं के जीवन को परिवर्तन कर आगे बढ़ना सिखाया । इसी प्रकार आपने ज्ञान , योग , और पवित्रता के बल से विश्व की सेवा करते हुए । मातेश्वरी जी ने 24 जून 1965 को अंतिम सांस ली । ऐसे ममतामई मां को सभी लोगों ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित कर शत शत नमन किया । कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे

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Author: liveindia24x7

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