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न्याय पाने भटक रहा कर्मचारी, नौ साल से सीएम हेल्पलाइन नौ दिन चले अढ़ाई कोस

सतना: न्याय व्यवस्था जब अपने ही विभाग के अधिकारी कर्मचारियों के लिए दूभर हो जाए तो आम व्यक्ति की उम्मीदें पहले ही दम तोड़ देती है।

मामला वन विभाग का है, जहां वनरक्षक के रूप में पदस्थ नागोद निवासी रामदयाल नापित के साथ वन विभाग के अंतर्गत आने वाले पन्ना टाइगर रिजर्व, छतरपुर, टीकमगढ़ तीनों जगह से वन विभाग के आला अधिकारियों ने अन्याय करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। रिटायर्ड वनपाल रामप्रसाद नापित ने बताया की मेरे खिलाफ पूरा षड्यंत्र शिकायत के कारण शुरू होता है। 2006 में पन्ना टाइगर रिजर्व की हिनौता खमहरिया रेंज में ड्यूटी के दौरान तात्कालिक वनपाल रामपाल मिश्रा ने तकरीबन 20 लोगों के समाने गला दबा कर जान से मारने का प्रयास किया। जिसमें मेरी गले की तीन नस दब गईं जिसका खामियाजा आज तलक मैं भोग रहा हूं। जब मैंने इस मामले की प्राथमिकी दर्ज करानी चाही तो विभाग के आला अधिकारियों ने विभाग की बदनामी की बात कहकर जांच और साथ देने का वास्ता देकर विभागीय जांच की बात कही और मेरे इलाज की बात भी की। लेकिन मेरा तबादला बीमार हालत में ही टीकमगढ़ कर दिया गया। क्रमश टीकमगढ़ और छतरपुर में मुझ बीमार का सीआर जान बूझकर खराब किया गया क्योंकि मैने न्याय हेतु न्यायालय की शरण ली लेकिन एकपक्षीय फैसला देते हुए बिना डॉक्टरों की जांच टीम के फैसला मुझे जान से मारने का प्रयास करने वाले के पक्ष में दिया गया इसके बाद मैने उच्च न्यायालय की शरण ली जहां मामला विचाराधीन है। मुझे शुक्ला ने 5 लाख का लालच भी दिया केस वापस लेने के एवज में लेकिन मैं न्याय के साथ खड़ा रहा और आज भी खड़ा हूं । विभाग ने शिकायत के कारण मुझे मानसिक रूप से परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मेरे इलाज के मेडिकल बिल जिनकी मेरे पास रिसीविंग हैं गायब कर दिए गए मेरे 19000 के बिल में से महज । मेरे जीपीएफ अकाउंट से फर्जी तरीके से 52000 निकाल लिए गए। पदोन्नति का हकदार होने के वावजूद मुझसे जूनियर 76 वनरक्षकों को पदोन्नति दे दी गई इसके 2 साल बाद मेरा नंबर आया जिस वजह से मुझे सैलरी और पेंशन आदि में नुकसान हुआ। मैंने हमेशा अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी निष्ठा और ईमानदारी से किया है, पन्ना टाइगर रिजर्व में जब बाघ बाघिन के मिलन से लेकर सैंपलिंग का काम दिन रात किया जिससे बाघ की संख्या में वृद्धि हुई, मेरा नाम राष्ट्रपति पुरुस्कार के लिए जाना था जिसे रोका गया और बांबे हाउस से मिलने वाले पुरुस्कार में सिल्वर मेडल वो लिए ही नाम भेजा गया। मैंने जंगल की रक्षा के लिए अपने प्राणों की भी परवाह नहीं की पन्ना टाइगर की खड़ार बीट जहां हर 30 साल से प्रतिवर्ष जंगल में आग लग जाती थी, मेरी ड्यूटी के दौरान मैने ऐसी कोई घटना नहीं होने दी।

मैने अपने साथ हुए अन्याय की शिकायत सीएम हेल्पलाइन में करवाई जहां से आज नौ साल बाद भी मुझे निराशा मिली है, अधिकारी मेरी शिकायत बंद करवा देते हैं। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक समन्वय विभाग ने मेरी शिकायतों के निराकरण हेतु पन्ना टाइगर रिजर्व को पत्र भी लिखा था लेकिन यहां बैठे अधिकारी खामोश रहे। मेरी सीएम हेल्पलाइन में पहली शिकायत 15/10/2014 को हुई थी जिसका शिकायत नंबर 318200, इसके बाद 2015 में शिकायत क्रमांक 880168, 1278073, 1330051, 1715171, 2940422, 4028125, 11645876, 11720382 दिनांक 09/07/2020 एवम अंतिम शिकायत 17422412 दिनांक 27/04/2022 को किया गया। रामदयाल नापित ने कहा है की आज उसकी स्थिति बद से बदतर हो गई है और मुख्यमंत्री से उसने न्याय की गुहार कई बार लगाई है।

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Author: liveindia24x7