अरुण गर्ग चीफ ब्यूरो लाइव इंडिया
सतना विंध्य धरा पर जन्म लेने वाली कई पीढ़ियां अपने क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लागू होने का सपना देखती रही, लेकिन अफसोस पीढ़ियां गुजर जाने के बाद भी विंध्य धरा में संचालित सरकारी अस्पताल और सामुदायिक केंदों में योग्य चिकित्सक और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं से कोसों दूर बने हुए हैं। संभागीय मुख्यालय रीवा में संचालित शासकीय संजय गांधी अस्पताल की राह पर सतना जिले का सरदार वल्लभ भाई पटेल जिला अस्पताल निरंतर आगे बढ़ रहा है। जिस तरह से संजय गांधी अस्पताल यानी मरीज की जिंदगी संकट में, ठीक उसी तरह के हालात जिला अस्पताल सतना के बन गये हैं। यहां उपचार कराने के लिए एडमिट होने वाले मरीजों के साथ साथ उनके परेशान परिजनों को यहां होने वाली अवैध वसूली का शिकार मजबूरी में बनना पड़ता है। सतना जिला अस्पताल भी केवल मंत्री, सांसद, विधायकों के साथ साथ आम जनता के आंखों में धूल झोंकने तक सीमित रह गया है। मध्य प्रदेश शासन की मंसाओ पर पानी फेरने का काम जिला अस्पताल सतना में किया जा रहा है। यही वजह है कि संजय गांधी अस्पताल को लेकर जिस तरह जनता की धारणा बदली है, ठीक उसी अंदाज में सतना का जनमानस भी जिला अस्पताल को लेकर अपनी सोच बदल चुका है। समय के साथ जिला अस्पताल का कायाकल्प कम से कम स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में हो जाना चाहिए, लेकिन अफसोस मध्य प्रदेश के सत्ता वाले सिंहासन पर बैठने वालों को स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर परेशानी झेलने वाली जनता पर जरा सा भी तरस नहीं आया। जिला अस्पताल सतना में संजय गांधी अस्पताल की तरह पर्याप्त सुविधाएं न मिलने की वजह से रोज लोगों की जीवनशैली समाप्त हो रही है।और प्रशुताओं वा नवजातों के लिए कब्र गाह बनता जा रहा है।आखिर 25 सालों में यही विकाश देखने को जनता ने नेताओ को चुना