टिकरापारा आरडीए बिल्डिंग से कूदकर जान देने वाली 17 साल की नाबालिग के मोबाइल की जांच के बाद चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। लड़की पिछले तीन साल से दुबई के साहिल खान से इंस्टाग्राम पर चैट करती थी। वीडियो कॉल पर भी उनके बीच बातचीत होती थी। इस बात का पता जब बोरिया में रहने वाले उसके दोस्त समीर खान को पता चला, तो उसने नाबालिग को बातचीत करने से मना किया, लेकिन वह नहीं मानी और बातचीत जारी रखी।
तब नाबालिग के नाम से समीर ने सोशल मीडिया पर फर्जी अकाउंट बनाया और साहिल से बातचीत करने लगा। इस दौरान साहिल ने समीर को नाबालिग की कुछ व्यक्तिगत फोटो भेज दी। उसे देखकर समीर भड़क गया। उसने नाबालिग से विवाद किया और उसके परिजनों को फोटो भेजने की धमकी दी। सोमवार को समीर ने नाबालिग को आरडीए बिल्डिंग पर मिलने के लिए बुलाया था। वहां दोनों के बीच एक घंटे तक विवाद हुआ। उसके बाद नाबालिग छत पर चली गई और छलांग लगाकर खुदकुशी कर ली।
पुलिस ने समीर को गिरफ्तार कर लिया है। उसका भी फोन जब्त किया गया है। पुलिस ने समीर पर आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया है। पुलिस ने बताया कि 17 साल की नाबालिग मूलत: बस्तर की रहने वाली है। वह रायपुर में बुआ के घर रहकर पढ़ाई कर रही थी। वह 9वीं की छात्रा थी। मोहल्ले में समीर खान (19 वर्ष) रहता है। वह फर्नीचर बनाने का काम करता है। एक साल पहले दोनों की दोस्ती हुई थी।
चाइल्ड पोर्नोग्राफी का बनेगा मामला: अधिवक्ता विशाल शुक्ला ने बताया कि नाबालिग के खुदकुशी मामले में चाइल्ड पोर्नोग्राफी (धारा 67ए, 67बी) का केस दर्ज करना चाहिए। क्योंकि नाबालिग की फोटो दुबई के युवक के पास थी। उसने नाबालिग से अनुमति लिए बिना ही फोटो दूसरे को शेयर कर दी। यह नाबालिग के निजता का हनन है। ऐसे मामले में चाइल्ड पोर्नोग्राफी का केस बनता है।
एक्सपर्ट बोले- पैरेंटिंग एप हैं, लेकिन अभिभावकों का बच्चों से खुलना बहुत जरूरी, सही-गलत के बारे में बताएं
पैरेटिंग एप से ऐसे कर सकते हैं मॉनीटरिंग
“इंटरनेट और गूगल प्ले में बहुत सारे पैरेटिंग एप हैं। जिससे आप बच्चों के मोबाइल की मॉनीटरिंग कर सकते हैं। इस एप के उपयोग के लिए कंपनियों को चार्ज देना पड़ता है। इससे बच्चों के मोबाइल पर आने वाले मैसेज, वीडियो, सोशल मीडिया की पोस्ट के साथ वाट्सएप मैसेज की भी निगरानी की जा सकती है। इसमें ये भी सुविधा होती है कि बच्चा कहां आ जा रहा है, ये लोकेशन देखा जा सकता है।” – मोहित साहू, साइबर एक्सपर्ट
इसमें टाइमिंग भी सेट करने का सिस्टम होता है। यानी आप जितने समय मोबाइल या इंटरनेट का उपयोग चाहते हैं, उसे सेट कर सकते हैं। उस निर्धारित समय के बाद मोबाइल और नेट खुद बंद हो जाते हैं। इस तरह के एप का विदेशों में काफी उपयोग हो रहा है। अब देश में भी इस एप के यूजर्स बढ़ते जा रहे हैं। हालांकि इस एप से बच्चों की प्राइवेसी नहीं रहेगी। इसका दूसरा उपाए है कि आप बच्चों से खुलकर बातें करें।
बच्चों में धैर्य की कमी, इसलिए उठा रहे कदम
“रिसर्च में ये बात सामने आई है कि नाबालिगों में धैर्य नहीं है। वे जल्दी आवेश में आ रहे हैं और गलत कदम उठा रहे हैं। सोशल मीडिया, इंटरनेट और टीवी को नाबालिगों पर ज्यादा प्रभाव पड़ा है। वे फिजिकल दोस्ती की जगह वर्चुअल दोस्त बना रहे हैं। बच्चों को फिजिकल दोस्त बनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। स्क्रीन टाइम पैरेंट्स के लिए बड़ा चैलेंज है। अगर इसे कम नहीं किया, तो बच्चे डिप्रेशन में आएंगे।” – सुरभि दुबे, मनोचिकित्सक
बच्चों से दोस्ती बढ़ाएं खुलकर चर्चा करें
“ऑनलाइन क्लास के बाद बच्चे फोन का ज्यादा उपयोग कर रहे हैं। अब दुरुपयोग हो रहा है। यह घातक हैं। सोशल मीडिया में बच्चे ऐसे लोगों से जुड़े हैं, जिन्हें जानते ही नहीं। रियल और वर्चुअल का फर्क बताने की जरूरत है। बच्चों से खुलकर चर्चा करें, उन्हें मोबाइल से दूर तो नहीं कर सकते, लेकिन अच्छे-बुरे की समझ पैदा करनी होगी। इसका कोई एक पैमाना नहीं हो सकता।” – मनोज साहू, मनोचिकित्सक