सभी को इसका इंतजार है कि सातवें चरण की शिक्षक नियुक्ति के लिए नई नियमावली कब आएगी। आज सोमवार को शाम 6 बजे बिहार कैबिनेट की बैठक होने वाली है। बिहार विधान सभा में इन दिनों बजट सत्र भी चल रहा है। नई नियमावली को लेकर तमाम वैसे लोगों की उम्मीदें कैबिनेट से है जो शिक्षक बनने की योग्यता रखते हैं। शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने कई बार ट्वीट कर कहा है कि उन्होंने इस पर हस्ताक्षर भी कर दिया है। 2023 में शिक्षा विभाग में 3 लाख से अधिक नौकरी देने का दावा भी उन्होंने किया है।
नाक में दम कर देने वाली नियोजन प्रक्रिया
नई शिक्षक नियमावली का इंतजार इसलिए हो रहा है कि अब इसी के जरिए शिक्षकों की नई बहाली बिहार में होगी। अब तक शिक्षक नियोजन की पेचीदापूर्ण प्रणाली ने लोगों की नाक में दम कर रखा है। घूम-घूम कर लोग अलग-अलग नियोजन केन्द्रों पर आवेदन जमा करते थे। इसके बाद किस नियोजन में वे बतौर मैरिट कितने नंबर पर हैं इसको देखते रहते थे। यहां नियोनज करवाएं कि वहां करवाएं, इसी परेशानी में रहते थे। कई नियोजन केन्द्रों पर नाम पुकारने से जुड़ी अराजकता अपने तरह की होती थीं।
ग्रामीण इलाकों में ज्यादा समस्या
चयन के बाद 24 घंटे के अंदर उम्मीदवार का नाम वेबसाइट पर डालने की बाध्यता होती थी। लेकिन कई जगहों पर तीन-चार दिन बाद नाम डाले जाते थे। ऐसी-ऐसी गड़बड़ियां की पूछिये मत! कई नियोजन केन्द्रों पर नियोजन रद्द करना पड़ा और बाद में कराना पड़ा। इससे सही उम्मीदवारों को खूब परेशानी झेलनी पड़ती थी। यह सब बिहार में वर्षों तक चला। शहरी इलाकों में तो नियोजन कुछ ठीक भी रहा। लेकिन ग्रामीण इलाकों में पैसों के लेन-देने की खबरें खूब आती रहीं। फर्जी सर्टिफिकेट पर बहाली भी खूब हुई। अभी जो निगरानी को कई कार्यरत शिक्षकों से जुड़े कागजात नहीं मिल रहे हैं। उसके पीछे का खेल कई जगहों पर डीईओ से लेकर मुखिया- सरपंच तक से जुड़ा है।
अफसर तो अफसर हैं वे ज्यादातर बार बच जाते हैं। ओवरऑल हुआ यह कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर इसका असर पड़ा। एक ही काम के लिए दो तरह के वेतन वाले शिक्षक होने से भी असर पड़ा। शिक्षा मंत्री जब विपक्ष में थे तब कई सार्वजनिक मंचों से शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन देने की वकालत की लेकिन अब जब वे शिक्षा मंत्री हैं, उनकी सरकार है तब इसे लागू नहीं किया जा रहा है।
वर्षों से ट्रांसफर ही नहीं कर रही सरकार, महिलाओं की जिंदगी तबाह है!
नियोजित शिक्षक कई-कई वर्षों से ट्रांसफर का इंतजार कर रहे हैं। खास कर ज्यादातर महिलाओं के साथ यह हुआ कि नियोजन के समय वे अपने मायके में थीं और शिक्षक बनने के बाद जब शादी हुई तब ससुराल कहीं और हो गया। नतीजा यह है कि ज्यादातर ऐसी शिक्षिकाओं की जिंदगी तबाह है क्योंकि वे ससुराल में ठीक से बस ही नहीं पाई हैं। पुरुषों और महिलाओं की लाइफ स्टाइल अलग है। उन्हें घर में बच्चों का लालन-पालन से लेकर सास-ससुर की देखभाल भी करनी होती है। लेकिन नीतीश सरकार ने वर्षों से उनका ट्रांसफर नहीं किया है।
शिक्षकों को अपना वोटर्स मानते हैं तेजस्वी
उपमुख्यमंत्री तेजस्वी ने विधान सभा चुनाव के बाद कहा था कि उन्हें शिक्षकों ने बड़ी संख्या में वोट किया है। वे शिक्षकों के आंदोलन में ईको पार्क में शामिल भी हुए थे। वहां से धरना स्थल गर्दनीबाग तक पैदल मार्च भी किया था। शिक्षा मंत्री खुद प्रोफसर हैं वे भी महिला शिक्षकों और दिव्यांग शिक्षकों का दर्द समझते हैं। लेकिन अभी तक इनका ट्रांसफर लटका हुआ है। महिलाओं में इसको लेकर काफी आक्रोश है।
शिक्षक संघ की मांग जानिए
सरकार ने छठे चरण की बहाली में बीएड, डीएलएड पास अभ्यर्थियों को ही शामिल किया था। मैट्रिक, इंटर, ग्रेजुएशन की शैक्षणिक योग्यता के साथ ही बीएड में लाए गए अंक और टीईटी में लाए गए अंकों के आधार पर मैरिट लिस्ट बनाया गया था। इसके बावजूद ग्रेड पे देने के लिए दो साल की समय सीमा तय कर दी गई। ट्रांसफर के लिए भी तीन साल का नियम लगा दिया गया। जबकि शिक्षक संघों की मांग रही कि एक साल का समय इसके लिए पर्याप्त है। टीईटी-एसटीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष मार्कण्डेय पाठक और प्रदेश प्रवक्ता अश्वनी पांडेय कहते हैं कि सरकार शिक्षकों को जितना अच्छा माहौल देगी बच्चों की पढ़ाई उतनी अच्छी होगी। इस बेसिक बात को समझना होगा।
नई महागठबंधन सरकार से उम्मीद
नई महागठबंधन सरकार से शिक्षकों को बहुत उम्मीद थी, मुख्यमंत्री शिक्षकों के वेतन बढ़ाने की बात कर रहे हैं लेकिन विभाग शिक्षकों के वेतन में कटौती कर रहा है। दूसरी ओर समान वेतन- समान सेवा शर्त, राज्य कर्मी का दर्जा, बीएड योग्यता धारी शिक्षकों का संवर्धन, सभी शिक्षकों का स्थानांतरण, स्नातक ग्रेड शिक्षकों को प्रमोशन, इंडेक्स- 3 की बाध्यता आदि सवाल जस के तस हैं जिससे शिक्षकों मे निराशा हताशा की स्थिति है।
पहले और नई नियुक्ति प्रक्रिया में इस तरह से अंतर होने की संभावना
अब सरकार नई शिक्षक नियमावली में कौन-कौन से सुधार लाती है इसका इंतजार बेसब्री से हो रहा है। सभी की नजर कैबिनेट की बैठक की ओर है। भास्कर ने पहले भी बताया था कि सरकार किस-किस तरह से बदलाव पर काम कर रही है। यहा जानिए पहले की नियुक्ति प्रक्रिया और नई नियुक्ति प्रक्रिया में अंतर किस तरह से होने की संभावना है।
– आने वाली सातवें चरण की शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया केंद्रीयकृत और किसी आयोग से करवायी जाएगी। पहले त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था और नगर निगम इकाई के जरिए नियोजन किया जाता रहा।
– अब तक के नियोजन में यह पता करना मुश्किल भरा काम था कि किसका चयन कहां हो चुका है ! नई नियमावली के तहत जिस अभ्यर्थी का चयन एक जगह हो जाएगी तो बाकी जगह से उम्मीदवारी खुद रद्द हो जाएगी। इसे ऐसे समझें कि सेंट्रलाइज आवेदन लिए जाएंगे, जिसमें आप्शन मांगा जाएगा और आपने उसमें 1.पटना 2. आरा. 3. गया भरा। इसमें से आपका चयन अगर पटना में हो गया तो आरा और गया की उम्मीदवारी खुद रद्द हो जाएगी।
– शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2020 में चार प्रकार की नियमावली थी। जबकि शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2023 में केवल एक नियमावली ही होगी। यह नियमावली सभी प्रकार के शिक्षकों पर लागू की जाएगी।
– शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2020 में जिला परिषद माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालय सेवा नियमावली, बिहार नगर निकाय माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय सेवा नियमावली, बिहार पंचायत प्रारंभिक विद्यालय सेवा नियमावली तथा बिहार नगर प्रारंभिक विद्यालय सेवा नियमावली थी जबकि शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2023 में प्रारंभिक शिक्षकों से लेकर उच्च माध्यमिक तक के शिक्षकों, पुस्तकालयध्यक्षों, प्रयोगशाला सहायकों, अनुदेशकों की नियुक्ति के लिए एक ही नियमावली बिहार स्थानीय निकाय प्रारंभिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय सेवा नियमावली 2023 होगी।
– 2020 की शिक्षक नियुक्ति नियमावली में विशेष शिक्षक और प्रयोगशाला सहायकों की नियुक्ति के लिए कोई भी प्रावधान नहीं था। शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2023 में विशेष शिक्षक और प्रयोगशाला सहायकों की नियुक्ति के लिए भी प्रावधान होगा।
– पहले की शिक्षक नियुक्ति नियमावली में ग्राम पंचायत, पंचायत समिति,जिला परिषद, नगर निगम, नगर परिषद, नगर पंचायत के स्तर पर गठित अलग-अलग नियुक्ति प्राधिकार और अनुशासनिक प्राधिकार का गठन किया गया था परंतु नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली में जिला स्तर पर एक ही स्थानीय निकाय नियुक्ति प्राधिकार व अनुशासनिक प्राधिकार होगा।
– पुरानी शिक्षक नियुक्ति नियमावली में सभी नियोजन नियोजन इकाई के अध्यक्ष को नियोजन समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। अब जिला स्तरीय राजपत्रित पदाधिकारी को समिति का अध्यक्ष बनाने की संभावनाओं पर विचार हो रहा है। नई नियुक्ति नियमावली के लागू होते ही शिक्षकों का पद जिला स्तर का संवर्ग हो जाएगा। पुरानी नियमावली में विषयवार और नियोजन इकाईवार अलग-अलग संवर्ग था।
– पुरानी नियुक्ति नियमावली में मेधा अंक की गणना नियोजन इकाई द्वारा मैट्रिक, इंटरमीडिएट, स्नातक, स्नातकोत्तर और प्रशिक्षण में प्राप्त अंकों के प्रतिशत एवं पात्रता परीक्षा में प्राप्त अंकों के वेटेज के आधार पर निर्धारित किया जाता था। नई नियमावली में यह व्यवस्था बनी रहेगी और मेधा अंक के आधार पर आयोग द्वारा प्रशासी विभाग के परामर्श से निर्धारित किया जाएगा।
– सबसे बड़ा बदलाव यह होगा कि पहले नियुक्ति के लिए चयन की अनुशंसा नियोजन इकाई द्वारा की जाती थी। लेकिन नई व्यवस्था के तहत नियुक्ति के जरिए चयन की अनुशंसा प्राधिकृत आयोग द्वारा की जाएगी।
– पुरानी शिक्षक नियुक्ति नियमावली के अंतर्गत नियोजन इकाईयों की संख्या 9222 थी। नई नियमावली के में नियोजन इकाइयों की संख्या महज 38 रह जाएगी। बिहार में जिलों की संख्या 38 है।
– पुरानी नियुक्ति नियमावली से विभिन्न नियोजन इकाई में ट्रांसफर में दिक्कत हो रही थी। अब नई नियुक्ति नियमावली में जिला स्तरीय संवर्ग होगा। इससे बेहतर सेवा शर्त और शिक्षा विभाग का प्रभावी नियंत्रण होगा। पुरानी शिक्षक नियुक्ति नियमावली में मात्र वेतन संरक्षण का प्रावधान था अब नई नियमावली में सेवा निरंतरता और वेतन संरक्षण का स्पष्ट प्रावधान होगा।
– नई नियमावली में शैक्षणिक प्रशासन को पारदर्शी बनाने और शिक्षक, पुस्तकालयध्यक्ष, प्रयोगशाला सहायक व अनुदेशकों की सेवा इतिहास के संधारण, उनकी उपस्थिति, सेवा संबंधित विषयों जैसे कि अवकाश स्वीकृति, वेतन भुगतान, वेतन वृद्धि, प्रोन्नति और अन्य मामलों की तत्परता से निष्पादन के उद्देश्य से विभाग द्वारा वेब पोर्टल का निर्माण किया जाना है।