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नदी के धारा की दिशा बदल नियम विरुद्ध तरीके से चंगेरी घाट से रेत का उत्खनन बिना सीमांकन मनमानी ढंग से ठेकेदार ने कब्जा में लिया चंगेरी घाट

कोतमा  अनूपपुर जिले में रेत के ठेके को महंगे दर में लेने के बाद अब ठेकेदार अपने मनमाना और तनाशाही रवैया में उतर आया है। खनिज विभाग शासन प्रशासन और जिम्मेदारों को मैनेजमेंट कर अब मनमानी तरीके से रेत का उत्खनन अनूपपुर जिले के 21 घाटों पर किया जा रहा है। अनूपपुर जिले के कोतमा के चंगेरी घाट में बिना सीमांकन बिना सीमा तय हुई रेत का उत्खनन बड़े प्रारूप में शुरू हो गया है। ना तो खदान की सीमा अब तक तय की गई और ना ही झंडा लगाए गए हैं लेकिन ठेकेदार ने मनमानी तरीके से नदी में मशीन उतार कर नदी में बह रही पानी की धार को परिवर्तित करते हुए प्रशासन से मिली हुई अनुमति और तय सीमा से बाहर अपनी सीमा बना ली है। नदी के बीचो-बीच रेत की मेड बनाकर पानी के बहाव को मोड़ दिया गया है, वही बिना खदान का परिसीमन और सीमांकन हुए ठेकेदार ने मनमाने जगह रेत का उत्खनन तानाशाही रवैया से शुरू कर दिया है नदी के प्रारूप से खिलवाड़ कर रहा ठेकेदार महंगे दर पर रेत का ठेका लेने के बाद ठेकेदार जल्दबाजी में रेत का उत्खनन अवैध तरीके से शुरू कर दिया है। जहां खदान का परिसीमन आज दिनांक तक नहीं हुआ है वही खदान की की सीमा ना होने के बाद भी उत्खनन जोरों से चालू है। ठेकेदार के मनमानी और तने शाही रवैया का हाल यह है कि सारे नियम को दरकिनार करते हुए नदी के प्राकृतिक स्वरूप से खिलवाड़ और छेड़छाड़ करते हुए पानी बहने की धारा को ही परिवर्तित कर दिया गया है। जोकि नदी के प्राकृतिक स्वरूप के लिए खतरा बन सकता है। खनिज विभाग के उदासीनता के कारण ठेकेदार तानाशाही रमैया करते हुए केवाई का सीनाछल्ली कर रहा है। पर्यावरण और खनिज विभाग के नियमों को तक में रखते हुए ठेकेदार मनमाने तरीके से खदान बनाकर रेत के उत्खनन में लग गया है जल्द ही कार्रवाई नहीं की जाती है तो केवई नदी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है मूकदर्शक बना प्रशाशन जिले भाल में हो रहे अवैध उत्खनन पर खनिज विभाग मूकदर्शक बना है वहीं क्षेत्र प्रशासन भी किसी तरह की कार्यवाही नहीं कर रहा है ऐसा नही है कि इन सभी गतिविधियों की जानकारी जिले में बैठे आला अधिकारियों को नहीं है समय समय पर समाचार पत्रों के माध्यम से भी खनन माफियाओं के खिलाफ समाचार प्रकाशित कर सरकारी नुमाइंदो को जानकारी मिलती रहती है पर जानकारी होने के बावजूद जब सरकारी कोरम पूरा करने का समय आता है तब ही अपने दफ्तर से निकल कर सरकारी नुमाइंदे एकदा कार्यवाही कर अपना पीठ स्वयं ही थप थपा लेते है, जिम्मेदारों की अनदेखी से जो जिलेवासियों सहित प्रदेश सरकार को राजस्व की छती हो रही है उसको जिले की जनता अपने खुले आंखो से देख रही है। जो दुष्परिणाम नदियों के प्राकृतिक स्वरूप से खिलवाड़ कर खनन माफियाओं द्वारा अंजाम दिया जा रहा है वह जिले में भारी जल संकट को निमंत्रण दे रहा हैं।

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Author: liveindia24x7

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