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कोरोना से बचाव:बच्चों को दी जाने वाली कोरवी वैक्स वैक्सीन अब कोवैक्सीन और कोविशील्ड की दोनों डोज ले चुके लोग भी ले सकते हैं

12 से 14 साल के किशोरों को कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए कोरवी वैक्स वैक्सीन की अगली खेप जल्द ही मिलेगी। राज्य सरकार ने केंद्र से इसकी मांग की है। टीका आने पर किशोरों को यह टीका पड़ने लगेगा। इसमें महत्वपूर्ण है कि जो लोग कोवैक्सीन और कोविशील्ड की दो डोज ले चुके हैं। वे प्रिकॉशन (बूस्टर) डोज के तौर पर कोरवी वैक्स वैक्सीन ले सकते हैं। इसकी पुष्टि डिस्ट्रिक्ट इम्युनाइजेशन आफिसर डॉ. एसपी विनायक ने की। टीका देने की व्यवस्था पूर्व में निर्धारित केंद्रों पर की जाएगी।

इसकी जानकारी भी विभिन्न माध्यम से दी जाएगी। उन्होंने बताया कि कोरोना खत्म हुआ तो प्रिकॉशन डोज के प्रति लोगों में दिलचस्पी कम हो गई। टीकाकेंद्र पर कम लोगों के आने की वजह से टीके की कुछ डोज खराब भी हो गईं। कुछ केंद्रों पर तो टीका देने की 24 घंटे की सुविधा थी। असमर्थ लोगों के लिए घर जाकर टीका देने की भी व्यवस्था की गई थी। इसके बाद भी पटना जिला में प्रिकॉशन (बूस्टर) का निर्धारित लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। लक्ष्य सिर्फ 30 फीसदी तक ही पहुंच पाया।

कब ले सकेंगे कोरवी वैक्स का बूस्टर डोज

जो लोग कोवैक्सीन या कोविशील्ड की दोनों डोज ले चुके हैं। दूसरी डोज कम से कम छह महीने या 26 सप्ताह पहले ली गई हो। 18 साल से ऊपर वाले लोग ही इस बूस्टर डोज को ले सकते हैं।

31 मार्च से नहीं है टीका

राज्य में 31 मार्च तक ही टीका उपलब्ध था। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से वैक्सीन की मांग की है। उम्मीद है जल्द ही वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी। राज्य में कोरोना का संक्रमण भी धीरे-धीरे बढ़ रहा है। डॉक्टरों की सलाह है कि जिन लोगों ने भी वैक्सीन की दोनों डोज या बूस्टर डोज नहीं लगवाई है लगवा लें। डॉक्टरों का मानना है टीका नहीं लगवाने वालों को संक्रमित होने का खतरा अधिक है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के नए वैरियंट पर भी टीके का असर होगा।

नया वैरिएंट मिलने से बढ़ी चिंता

कोरोना का नया वैरिएंट एक्सबीबी 1.16 के मिलने के बाद से लोगों की चिंता थोड़ी बढ़ गई है। पटना में भी रोहतास की एक युवती नए वैरिएंट से संक्रमित मिली थी। जबकि उसकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं थी। हां, होली में उसके घर बाहर से लोग आए थे। वैसे भी नए वैरिएंट का इनफेक्टिविटी रेट अधिक है। केरल और महाराष्ट्र में भी नए वैरिएंट की पुष्टि बिहार से पहले हो चुकी है। यहां भी गंभीर मरीजों की सैंपल की जिनोम सिक्वेसिंग आईजीआईएमएस में कराई जा रही है।

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Author: liveindia24x7