Live India24x7

Search
Close this search box.

नर्मदापुरम जिले में 2022 में सबसे ज्यादा टीवी 2854 मिले, 2020 के बाद से कम नहीं हो रही टीबी मरीजों की संख्या

संवाददाता अनमोल राठौर

हाल के वर्षों में टीबी में चिंताजनक वृद्धि, जिले के टीबी मरीजों के पांच सालों के आंकड़े भी दर्शा रहे हैं.

नर्मदापुरम. टीबी दुनिया की सबसे घातक बीमारियों में से एक है. इसे दूर करने के काफी प्रयास किए जा रहे हैं. इसके बाद भी इस बीमारी से मुक्ति नहीं मिल पा रही है. हाल के वर्षों में टीबी में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है. जिले के टीबी मरीजों के पांच सालों के आंकड़े भी दर्शा रहे हैं. इस बार टीबी दिवस की थीम ‘हां!’ के साथ जारी है. लेकिन साल 2020 में जनवरी से लेकर दिसंबर तक 2300 मरीज मिले थे. इसके बाद मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धी हो रही है. 2022 में जनवरी से लेकर दिसंबर तक 2854 सबसे अधिक मरीज मिले थे. टीबी के मरीजों में पुरुषों में फेफड़े वाली टीबी अधिक हो रही है. टीबी मरीजों की संख्या में 70% पुरुषों की संख्या है. इनमें भी अधिक मरीज इटारसी, सुखतवा, नर्मदापुरम और पिपरिया में मिल रहे हैं.

लगाया जा रहा बीसीजी टीके

विशेष दुबे जिला समन्वयक ने बताया लोकल18 को बताया कि साल दर साल टीबी के मरीज मिल रहे हैं, लेकिन इनमें से 90% टीबी मरीज पूर्णतय ठीक भी हुए हैं. निक्षय एक माध्यम से टीबी मरीजों की मॉनिटरिंग की जाती है. इन्हें समय पर चेकअप, दवाइयां आदि दी जाती हैं. अभी तक जिले में 13 हजार 78 लोगों का टीकाकरण भी हो चुका है. यह प्रत्येक सोमवार और गुरुवार को टीके लगाए जा रहे हैं. करीब 2 लाख 90 हजार लोगों को टीके लगाने का लक्ष्य रखा गया है. जिले में एडल्ट बीसीजी टीका अभियान 7 मार्च से जिला सभी शासकीय अस्पतालों में एडल्ट टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है. जिसमें 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के चिन्हित लाभार्थियों को टीबी रोग से बचाव के लिए बीसीजी टीके लगाए जा रहे हैं. चिकित्सालय सहित नर्मदापुरम जिले में अधिक होता है.

बच्चों में टीबी रोग के लक्षण अलग

बच्चे के मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी के आसपास के तरल पदार्थ में सूजन. इसके साथ ही बच्चे का सुस्त रहना या सक्रिय न रहना, उल्टी, उचित पोषण न मिलना, सिर पर उभरा हुआ कोमल स्थान आदि. 1 से 12 साल तक के छोटे बच्चों में बुखार बना रहना, वजन कम होना, शिशु का अपेक्षित विकास या वजन नहीं बढ़ रहा है. इस प्रकार के लक्षण बच्चो में होते है.

क्षय रोग फैलने के यह हैं प्रमुख कारण

तपेदिक तब फैल सकता है जब बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति खांसता, छींकता या गाता है. कोई अन्य व्यक्ति बूंदों में सांस ले सकता है. और रोगाणु फेफड़ों में प्रवेश कर जाते हैं. जिस भी जगह लोगों की भीड़ होती है, वहां टीबी रोग आसानी से फैलता है. एचआईवी/एड्स से पीड़ित लोगों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले अन्य लोगों में सामान्य प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों की तुलना में तपेदिक होने का खतरा अधिक होता है. क्षय रोग (टीबी) एक गंभीर बीमारी है जो मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती है. तपेदिक का कारण बनने वाले रोगाणु एक प्रकार के जीवाणु होते हैं. यह कीटाणुओं के साथ छोटी बूंदें हवा में डाल सकता है.

एक मरीज 10 से 15 लोगों को कर सकता है संक्रमित

डॉ. प्रियंका दुबे, जिला छह अधिकारी जिला अस्पताल ने बताया कि टीबी फैलने वाली बीमारी होती है. इसका मुख्य कारण धूम्रपान और तंबाकू उत्पादों का उपयोग करना है. महिलाओं में फेफड़ों की टीबी और बच्चेदानी की टीवी से अधिक फेफड़ों की टीवी हो रही है. टीबी मरीजों की संख्या में 70% पुरुषों में हैं. एक मरीज 10 से 15 लोगों को संक्रमित करता है. पुरुषों में अधिकतर फेफड़ों की टीवी अधिक मिलती है. प्रमुख कारण में धूम्रपान और तंबाकू से बने उत्पादों का सेवन है.

लापरवाही पड़ती है भारी

टीबी के लक्षण कई बीमारियों के समान होते हैं, लेकिन छाती में दर्द होना, अचानक तेज सिरदर्द, सांस लेने में दिक्कत, खांसी में खून आना आदि लक्षण होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए. इसकी लापरवाही करना लोगों को भारी पड़ सकता है.

2020 से 24 तक के टीबी के मरीजो की संख्या

2020:- जनवरी से दिसंबर तक – 2300 मरीज

2021:- जनवरी से दिसंबर तक – 2715 मरीज

2022:- जनवरी से दिसंबर तक – 2854 मरीज

2023:- जनवरी से दिसंबर तक – 2541 मरीज

2024:- जनवरी से मार्च तक – 600 मरीज

liveindia24x7
Author: liveindia24x7

यह भी पढ़ें

टॉप स्टोरीज