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‘लड़की ने मुंहबोले भाई से बनाए थे रिलेशन’:CBI जांच ने रेप के आरोप को गलत बताया, हाईकोर्ट ने कहा था- पुलिस भरोसे के लायक नहीं

ग्वालियर के दो साल पुराने बहुचर्चित रेप केस में CBI रिपोर्ट आने के बाद पीड़िता के लगाए आरोप झूठे साबित होते दिख रहे हैं। CBI ने हाईकोर्ट में पेश की अपनी जांच रिपोर्ट में पीड़िता के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। 15 साल की लड़की ने दो लोगों पर रेप और धमकाने का आरोप लगाया था।जांच रिपोर्ट में CBI ने पीड़िता पर ही जांच में सहयोग नहीं करने के आरोप लगाए हैं। इतना ही नहीं, मौके से कलेक्ट सीमन का DNA भी पीड़िता के मुंहबोले भाई से मैच हुआ है। इससे यह माना जा रहा है कि घटना वाले दिन मुंहबोले भाई ने ही पीड़िता से रिलेशन बनाए थे।इस बहुचर्चित रेप केस में लापरवाही बरतने पर हाईकोर्ट के आदेश पर ASP, CSP और दो TI को ग्वालियर अंचल से बाहर जाना पड़ा था। एक SI पर FIR की तलवार तक लटक गई थी। इतना ही नहीं कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था- पुलिस भरोसे लायक नहीं है। जिसके बाद जांच CBI को सौंपी गई थी।

खबर में आगे बढ़ने से पहले जान लेते हैं पूरा मामला…

15 साल की नाबालिग ने 31 जनवरी 2021 को CM हेल्पलाइन पर दुष्कर्म की शिकायत की थी। इसके बाद ग्वालियर की मुरार पुलिस उसे थाने लेकर आई। यहां उसने बताया कि ग्वालियर शहर की सीपी कॉलोनी निवासी ठेकेदार गंगा सिंह भदौरिया के मकान में वह झाड़ू-पोंछे का काम करती थी। 20 दिसंबर 2020 से उसे काम पर रखा गया था। वो घर के ग्राउंड फ्लोर पर ही रहती थी।31 जनवरी 2021 की रात 8 बजे गंगा सिंह का नाती आदित्य भदौरिया और उसके एक दोस्त ने उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया। जब दरवाजा खोला तो आदित्य और उसका दोस्त कमरे में आ गए। उन्होंने मेरे साथ दुष्कर्म किया और धमकाकर भाग गए। इसके बाद मुरार थाना पुलिस ने आदित्य पर धमकाने और उसके दोस्त पर दुष्कर्म का मामला दर्ज किया था।हाईकोर्ट में पीड़िता की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि केस वापस लेने के लिए पुलिस ने उसे पीटा था। यह सब आरोपी के ठेकेदार दादा गंगा सिंह भदौरिया के प्रभाव में हुआ था।

मुंहबोले भाई के सीमन से DNA मैच, घटना वाले दिन 30 बार हुई बात
हाईकोर्ट ने जांच में लापरवाही बरतने पर तत्कालीन (जनवरी 2021) ASP सुमन गुर्जर, CSP मुरार आरएन पचौरी के तबादले के आदेश दिए थे। मुरार थाने के TI रहे अजय पवार, SI कीर्ति उपाध्याय पर FIR के लिए कहा था, साथ ही तत्कालीन TI सिरोल थाना प्रीति भार्गव की भूमिका की जांच के लिए कहा था। जांच CBI को दी थी।

CBI ने अपनी जांच रिपोर्ट में पीड़िता को धमकाने और रेप के आरोप को खारिज कर दिया है। दुष्कर्म पीड़िता के आरोपों की पुष्टि के लिए CBI ने CCTV कैमरे खंगाले थे। घटना 31 जनवरी 2021 की रात सवा आठ बजे के लगभग होना बताई गई थी। इस दौरान रामवीर शर्मा (मुंहबोला भाई) पीड़िता के रूम से बाहर निकलता हुआ दिखा।

कॉल रिकॉर्ड से पता चला कि घटना वाले दिन रामवीर और पीड़िता की 30 बार बातचीत हुई थी। इस पर CBI ने आरोपी आदित्य भदौरिया, उसके दोस्त के साथ पीड़िता के मुंहबोले भाई रामवीर शर्मा का भी DNA टेस्ट कराया। पीड़िता ने जिस रामवीर शर्मा को मुंहबोला भाई बताया, मौके से कलेक्ट सीमन उसी के DNA से मैच हुए। इसी आधार पर माना जा रहा है कि पीड़िता ने रामवीर से ही रिलेशन बनाए थे।

रेप पीड़िता के नाबालिग होने पर भी सवाल

दुष्कर्म पीड़िता को नाबालिग साबित करने के लिए जो दस्तावेज पेश किए गए थे, CBI ने उन्हें भी खारिज कर दिया। रिपोर्ट में बताया गया कि दुष्कर्म के मामले में पीड़िता द्वारा खुद को नाबालिग बताया गया था। इसमें विशेष न्यायालय (एसटी/ एससी) ने पीड़िता की जन्मतिथि 7 मार्च 2002 मानी है। चूंकि, FIR 31 जनवरी 2021 को दर्ज कराई गई, ऐसे में घटना दिनांक को पीड़िता नाबालिग नहीं थी।

पीड़ित का आरोप था- पुलिस ने पीटा

नाबालिग रेप पीड़िता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता के एडवोकेट अनिल मिश्रा ने तर्क दिया कि आदित्य सिंह भदौरिया और उसके दोस्त ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म कर मारपीट की। मुरार थाना पुलिस के पास जब शिकायत लेकर पहुंचे, तो उल्टा पुलिस नाबालिग को परेशान करने लगी। साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की। थाने में अवैध रूप से पीड़िता को बंधक बनाए रखा। पुलिस ने उसे बयान बदलने के लिए पीटा। यह सब आरोपी के ठेकेदार दादा गंगा सिंह भदौरिया के प्रभाव पर हुआ। केस के दौरान नाबालिग के गायब होने पर हैबियस कॉर्पस (इसका उपयोग किसी ऐसे व्यक्ति की रिहाई के लिए किया जाता है, जिसे बिना कानूनी औचित्य के अवैध रूप से हिरासत में लिया गया हो) भी दायर की गई।

हाईकोर्ट ने किया था SP तक को तलब

हाईकोर्ट ने पुलिस से इस संबंध में जवाब मांगा। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने SP ग्वालियर को तलब कर लिया था। 17 जून 2021 को SP अमित सांघी न्यायालय के सामने उपस्थित हुए। 17 जून को हुई बहस के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, इसके बाद सुनाए अपने 129 पेज के आदेश में कहा कि मामले में आरोपी पर तो कार्रवाई नहीं की, पीड़िता और उसके परिवार को पुलिस प्रताड़ित करने में लगी रही। महिला सब इंस्पेक्टर से लेकर ASP स्तर तक के पुलिस अफसर आरोपी के दादा गंगा सिंह भदौरिया के कहने पर मामले को प्रभावित करते रहे। पुलिस की जांच में दोष है। मामले की निष्पक्ष जांच जरूरी है।

ग्वालियर में हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म का प्रयास करने के मामले में 9 साल से आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे 85 साल के रामरतन गोस्वामी को दोषमुक्त कर दिया है। आरोपी को विशेष न्यायालय ने दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इस सजा के खिलाफ अपील की गई थी। इसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए आरोपी को बरी कर दिया। उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर की युगलपीठ ने आरोपी के खिलाफ अतिरिक्त सत्र न्यायालय द्वारा सुनाए गए फैसले को खारिज कर दिया। न्यायालय ने कहा कि यदि आरोपी की किसी अन्य मामले में आवश्यकता नहीं है, तो उसे तत्काल स्वतंत्र किया जाए। किराएदार, मकान मालिक के विवाद के चलते बुजुर्ग पर यह आरोप लगे थे।

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Author: liveindia24x7

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