एक ओर जयपुर में भाजपा का प्रदर्शन, उसी दिन वसुंधरा के जन्मदिन पर शक्ति प्रदर्शन। प्रदेश में चर्चित दोनों कार्यक्रमों पर भाजपा प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह से भास्कर के विशेष संवाददाता हर्ष खटाना की सीधी बात-
वसुंधरा राजे का कार्यक्रम पहले से तय था ताे प्रदर्शन 4 मार्च काे ही क्याें रखा?
-एक दिन में दाे कार्यक्रम हाेने से काेई फर्क नहीं पड़ता है। एक दिन में 4 कार्यक्रम भी हाे सकते हैं। वे खुद जयपुर के प्रदर्शन में शामिल हाेकर सीधे सालासर जाएंगे और वसुंधरा राजे काे बधाई देंगे। कुल मिलाकर ये टाइम मैनेजमेंट का खेल है।
आपने क्याें कहा कि पदाधिकारियाें के साथ सालासर जाएंगे, ये डैमेज कंट्राेल की रणनीति है?
-सालासर ताे हम जाएंगे ही, लेकिन जाे दाे- चार पदाधिकारी हमारे साथ जाएंगे इसका काेई सियासी मायना नहीं है।
एक दिन में दाे कार्यक्रम हाेने से नेता और कार्यकर्ता खेमाें में खड़े दिख रहे हैं?
-इसे गुटबाजी नहीं समझें। प्रदर्शन एक जिम्मेदारी और जन्मदिन का कार्यक्रम अपने नेता के प्रति सम्मान और प्यार है। इसलिए वे खुद भी सालासर जाएंगे।
वसुंधरा का कार्यक्रम सियासी दृष्टि से देखा जा रहा है व बीजेपी का प्रदर्शन भी, क्या कहेंगे ?
-जन्मदिन पर पूजा अर्चना का कार्यक्रम और जनता से संवाद करना ताे अच्छी बात है। इसमें हमें काेई सियासत नहीं दिखती है। अब रही बात बीजेपी के प्रदर्शन की ताे 4 मार्च और इसके बाद भी प्रदर्शनाें के दाैर चलेंगे। सरकार काे घेरने से जुड़ी ये हमारी अंदरूनी रणनीति का हिस्सा है।
चर्चा है कि बीजेपी में इस पर विवाद इतना बढ़ गया है कि आपकाे बीच में कूदना पड़ा ?
-काेई विवाद नहीं है। सबकुछ ठीक है और अच्छा है। हमारे नेता प्रदर्शन में भी दिखेंगे और सालासर में भी दिखेंगे। कुल मिलाकर दोनों जगह कांग्रेस सरकार कठघरे में ही दिखेगी।
अमूमन विधानसभा शनिवार काे नहीं हाेती है, अब कार्यक्रम में बदलाव से बीजेपी का संदेश कुछ अलग नहीं जाएगा?
-विधानसभा की कार्रवाई शनिवार काे प्रस्तावित थी, लेकिन गहलाेत सरकार ने हमारे बड़े प्रदर्शन से डरकर सदन की कार्यवाही नहीं रखी है। बहरहाल प्रदर्शन ताे हाे रहा है। वाे बात अलग है कि विधानसभा की जगह अब मुख्यमंत्री आवास घेरने का कार्यक्रम है।
आपके ही सांसद किराेड़ीलाल मीणा ने रीट की सीबीआई जांच पर प्रदेश बीजेपी पर सवाल खड़े किए थे कि आंदाेलन में साथ नहीं मिलने से निराशा हाेती है?
-जन आक्राेश यात्राओं में हमने रीट के मुद्दे पर जनता से संवाद किया था। जनता की भावनओं काे मीडिया के माध्यम से सरकार और सीएम तक पहुंचाकर दावा किया था कि कांग्रेस के नेता पेपर लीक और घाेटालाें में शामिल है। बहरहाल डाॅ. किराेड़ीलाल भी हमारे ही हैं।राजस्थान में दोनों ही पार्टियों भाजपा और कांग्रेस में खेमेबाजी आलाकमान के लिए सिरदर्द बन गई है। यही वजह है कि सालों से पेंडिंग पड़े मसलों पर पार्टी प्रभारी भी कोई फैसला लेने से बच रहे हैं। चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने इस स्थिति से निपटने का एकमात्र तरीका मसलों को टाले रखने के रूप में खोजा है।