बजरंगबली, टीपू सुल्तान, हिजाब, नमाज जैसे भाजपा के मुद्दों को कर्नाटक की जनता ने नकार दिया। पे-सीएम और 40% की सरकार का नारा लेकर उतरी कांग्रेस को बहुमत दे दिया। कर्नाटक की 224 में से 135 सीटों पर कांग्रेस जीत गई।
भाजपा को 66 सीटें मिलीं। उसके खाते में आई एक सीट का रिजल्ट रविवार को क्लियर हुआ। ये सीट है जयनगर। यहां भाजपा ने हंगामा किया और री-काउंटिंग, जिसमें BJP प्रत्याशी राममूर्ति महज 16 वोटों से जीते। कांग्रेस ने दावा किया कि उनकी प्रत्याशी को पहले 160 वोट से विजयी घोषित कर दिया गया था।
इससे पहले शनिवार को नतीजों के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- भाजपा हमें ताना मारती थी कि हम कांग्रेस मुक्त भारत बनाएंगे। अब यह सच्चाई है कि दक्षिण भारत भाजपा मुक्त हो चुका है। ये 36 साल बाद हमारी बड़ी जीत हुई है।
वहीं, दिल्ली में राहुल गांधी ने कहा- हमने नफरत से लड़ाई नहीं लड़ी। कर्नाटक ने दिखा दिया कि देश को मोहब्बत पसंद है। हमारे जो मुख्य पांच वादे थे, वे पहली ही कैबिनेट बैठक में पूरे किए जाएंगे।
सिर्फ 8 महिलाएं ही विधायक बनीं
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में 185 महिलाएं उम्मीदवार मैदान में थीं, इनमें से सिर्फ 8 ही जीतीं। भाजपा से 12 प्रत्याशी थीं, 2 जीतीं। कांग्रेस से 11 प्रत्याशी थीं, 3 जीतीं। जेडीएस से 13 प्रत्याशी थीं, 2 जीतीं। निर्दलीय 149 थीं, 1 ही जीतीं।
अब कर्नाटक इलेक्शन के नतीजे
पार्टी | जीते |
कांग्रेस | 135 |
भाजपा | 66 |
जेडीएस | 19 |
अन्य | 4 |
कांग्रेस का पहला सोशल मीडिया रिएक्शन…
नतीजे कार्टूनिस्ट मंसूर नकवी की नजर से…


ग्राफिक्स में कितने राज्यों में कांग्रेस सरकार…CM बोम्मई के 11 मंत्री जीते, 11 हारे… सीएम पद के तीनों चेहरों को मिली जीत
इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के कई बड़े चेहरों का राजनीतिक भविष्य दांव पर लगा था। कांग्रेस के सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार, भाजपा के बसवराज बोम्मई प्रमुख फेस थे। ये तीनों चुनाव जीत गए। लेकिन बोम्मई और उनके 11 मंत्री जीते, 11 मंत्री हार गए। कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए भी यह बेहद अहम चुनाव था। एकतरफा जीत से पार्टी में उनका कद बढ़ेगा।
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पहली बार 73.19% मतदान, पिछले चुनाव से 1% ज्यादा
राज्य में 38 साल से सत्ता रिपीट नहीं हुई है। आखिरी बार 1985 में रामकृष्ण हेगड़े के नेतृत्व वाली जनता पार्टी ने सत्ता में रहते हुए चुनाव जीता था। वहीं, पिछले पांच चुनाव (1999, 2004, 2008, 2013 और 2018) में से सिर्फ दो बार (1999, 2013) सिंगल पार्टी को बहुमत मिला। भाजपा 2004, 2008, 2018 में सबसे बड़ी पार्टी बनी। उसने बाहरी सपोर्ट से सरकार बनाई।
10 मई को 224 सीटों के लिए 2,615 उम्मीदवारों के लिए 5.13 करोड़ मतदाताओं ने वोट डाले। चुनाव आयोग के मुताबिक, कर्नाटक में 73.19% मतदान हुआ है। यह 1957 के बाद राज्य के चुनावी इतिहास में सबसे ज्यादा है।
2018 में भाजपा को बहुमत नहीं… फिर भी सरकार बनाई
2018 में भाजपा ने 104, कांग्रेस ने 78 और JDS ने 37 सीटें जीती थीं। किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। भाजपा से येदियुरप्पा ने 17 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन सदन में बहुमत साबित न कर पाने की वजह से 23 मई को इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कांग्रेस-JDS की गठबंधन सरकार बनी।
14 महीने बाद कर्नाटक की सियासत ने फिर करवट ली। कांग्रेस और JDS के कुछ विधायकों की बगावत के बाद कुमारस्वामी को कुर्सी छोड़नी पड़ी। इन बागियों को येदियुरप्पा ने भाजपा में मिलाया और 26 जुलाई 2019 को 119 विधायकों के समर्थन के साथ वे फिर मुख्यमंत्री बने, लेकिन 2 साल बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। भाजपा ने बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया।
राहुल की भारत जोड़ो यात्रा कर्नाटक में 21 दिन चली, 7 जिलों से गुजरी। इन जिलों में 48 विधानसभा सीटें हैं। इनमें से 32 सीटें कांग्रेस ने जीत ली है। यानी 66% का स्ट्राइक रेट। ये 2018 से दो गुने से भी अधिक है। 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस 15 सीटें जीत पाई थी। बीजेपी ने 17, जेडीएस ने 14 और बाकी बची 2 सीट अन्य के पास थी।
पीएम मोदी ने 19 जिलों में कैंपेनिंग की, वहां बीजेपी ने 33% सीटें जीतीं

Author: liveindia24x7



