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खाद्य सुरक्षा टीम ने की कार्रवाई:खाद्य विभाग की टीम ने किचन से लिए थे नमूने कोर्ट ने प्रक्रिया को गलत माना, बरी किया

कोर्ट ने खाद्य सुरक्षा टीम द्वारा की गई कार्रवाई को गलत ठहराते हुए परम फूड प्रोडक्ट्स के संचालक संत कुमार गुलाटी को मिथ्याछाप मिल्क रस्क बेचने के मामले में बड़ी राहत मिली है। पूर्व में न्यायालय ने उन्हें इस मामले में दोषी मानते हुए एक साल की सजा दी थी और एक हजार रुपए का अर्थदंड लगाया था। इस आदेश के खिलाफ उन्होंने अपील की, जिसे स्वीकार करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश आरके रावतकर ने कहा- परिवाद में यह स्पष्ट नहीं है कि मिल्क रस्क का सैंपल सेल काउंटर से लिया गया था। अधिकारियों ने बयान में ये स्वीकार किया कि मिल्क रस्क का नमूना किचिन से लिया गया था। जिस समय नमूना लिया गया, उस समय उत्पाद बिक्री के लिए तैयार नहीं था। ऐसे में उत्पाद का मिथ्याछाप होना प्रमाणित नहीं माना जा सकता।

दरअसल, 11 जुलाई 2011 को खाद्य एवं औषधि प्रशासन की टीम ने पड़ाव स्थित परम फूड प्रोडक्ट्स पहुंची। अधिकारियों ने वहां मिलावट की शंका में मिल्क रस्क के सैंपल लिए, जिन्हें जांच के लिए लैब में भेजा गया। जांच रिपोर्ट में सैंपल मिथ्याछाप पाए गए। इस पर विभाग की ओर से न्यायालय में परिवाद पेश किया गया। 29 अगस्त 2022 में न्यायालय ने परिवाद स्वीकार करते हुए परम फूड प्रोडक्ट्स के फर्म संचालक को दोषी मानते हुए एक साल की सजा दी और एक हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। हालांकि, 9 माह के भीतर ही न्यायालय ने संतराम गुलाटी को आरोपमुक्त कर दिया।

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Author: liveindia24x7

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