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छातापटपर धान खरीदी केंद्र में मनमानी का आलम, किसानों से लिए जा रहे हैं मजदूरी के पैसे अव्यवस्था पर नहीं लग पा रही लगाम

लाइव इण्डिया अनूपपुर 

जैतहरी। धान खरीदी इस समय चरम पर है लेकिन विभाग के अधिकारी अव्यवस्था पर लगाम लगाने में फेल साबित हो रहे हैं। प्रशासन के लाख कोशिश करने के बाद भी छातापटपर के न तो खरीदी केंद्र प्रभारी सुधर रहे हैं । धान खरीदी में होने वाले फर्जीवाड़ा को रोकने के लिए सरकार द्वारा किसानों के पंजीयन से लेकर चेक की राशि सीधा उनके खाते में आने की व्यवस्था की गई है, फिर भी उपाय कारगर साबित नहीं हो रहे हैं। खरीदी प्रभारियों की मिलीभगत से व्यापारी अपना स्वार्थ सिद्ध करने में कामयाब हो जा रहे हैं। जांच में मामला पाए जाने के बाद भी अभी तक कोई बड़ी कार्रवाई किसी के खिलाफ नहीं हो पाई है। कई केंद्रों में किसानों से अधिक धान भी लिया जा रहा है। उपार्जन केंद्रों में धान की बोरियों का पहाड़ खड़ा हो गया है किसानों की बजाए व्यापारी सक्रिय धन उपार्जन समिति छातापटपर में अव्यवस्था के बीच धान खरीदी चल रही है। वहीं धान उपार्जन समिति छातापटपर में समिति के कर्मचारियों से मिली भगत कर व्यापारी सक्रिय हैं, किसानों से बिना झाला किया ही धान को बोरा से बोरों में पलटी किया जा रहा है, इसके साथ ही किसानों से मजदूरी के पैसे भी वसूले जा रहे हैं, जिससे छातापटपर क्षेत्र के किसान काफी परेशान नजर आ रहे हैं, किसान स्वयं ही मजदूर लाकर वरदाना लेकर धान डालकर सिलाई करवा रहा है, जो कार्य प्रबंधक और प्रभारी को करना चाहिए वह कार्य किसान को स्वयं करना पड़ रहा है। सरकार से मिलने वाली सुविधाएं भी किसानों को नहीं मिल पा रही है। बिचौलियों द्वारा यहां धान खपाया जा रहा है। केंद्र में 40 के जगह 40 किलो 800 ग्राम अधिक धान तौला जा रहा तो कहीं पुराने धान को खपाया जा रहा। जब इस संबंध में हमने धान खरीदी में तैनात सर्वेयर से जानकारी चाही कि किसानों से आप धान किस प्रकार से खरीद रहे हैं और जिस प्रकार से खरीद रहे हो तो नियम की विपरीत है तो सर्वेयर का साफ कहना था। कि जिस प्रकार से प्रबंधन ने हमें आदेशित किया है उस प्रकार से हम धान खरीद रहे हैं ! दरअसल धान खरीदी में किसानों के धान को पहले उनके बोरे से खाली कराया जाएगा इसके बाद उस धान की क्वालिटी चेक कर उस धान को खरीदा जाएगा !लेकिन यहां पर प्रबंधन और सर्वेयर की मिली भगत से मनमानी ढंग से धान की खरीदी की जा रही है ! हालांकि जिले में बैठे अधिकारियों को इस और ध्यान देना होगा नहीं तो गुणवत्ता विहीन धान खरीदी जारी रहेगी ! जब प्रबंधन सतीश गुप्ता से हमने जानकारी चाही तो उन्होंने बातों बातों में कहा कि बहुत सारी बातें हैं जो हम आपको नहीं बता सकते और आपको जो छापना है वही छापिये लेकिन सच्चाइ है कि किसानों के मन का ही हमें करना पड़ता है अब सवाल य उठना है कि जब सरकार का पैसा प्रबंधन को मिल रहा तो फिर वह किसान के मन का कैसे कर सकते हैं ! बाहरहाल यह सब जांच का विषय है जब जिले में बैठे वरिष्ठ अधिकारी इस मुद्दे की जांच कराएंगे तो सारा मामला खुलकर सामने आएगा !

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Author: liveindia24x7