सतना
मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाई
कॉरपोरेशन का कलेक्ट में नया ऑफिस खुला जो कि कलेक्ट्रेट में दो मंजिला में नान के डीएम श्री पंकज बोरशे जी के नेतृत्व में खोला गया ऑफिस को व्यवस्थित करने का कार्य देर शाम तक चलता रहा अब नान में यह देखना होगा की नान के ऑफिस को किस तरीके से कार्य को सुचारू रूप से चला पाते हैं पूर्व के डीएम अमित गौड़ ने 94 लाख रुपया का घोटाला करके नान के आउटसोर्सिंग के कर्मचारियों को फंसा कर चले गए और स्वयं निर्दोष साबित करने के लिए जोर शोर से लगे हुए हैं हमेशा से भ्रष्टाचार के में नान का पुराना नाता रहा है चाहे मिलिंग के कार्य में हो या सोसाइटी एंड समिति के माध्यम से हो किसी न किसी रूप में भ्रष्टाचार होता रहा है अब यह नान के डीएम साहब को सोचना होगा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने गरीब कल्याण के लिए पांच वर्षों के लिए मुफ्त अनाज देने की घोषणा की है और वह कैसे अनाज उपलब्ध समय से करा पाते हैं अनाज की उपलब्धता की जिम्मेदारी नान की है अगर नान में साठ गांठ पालसी चलती रही तो कैसे संभव है जहां चुनिंदा मिलरो को नान के डीएम द्वारा लाभ पहुंचाया जाता है जो मिलर नाम के डीएम से साठ गांठ कर लेता है उसे सभी नान द्वारा लाभ मिलता है जो मिलर साठ गांठ नहीं करता उसे नियम और कानून का पाठ पढ़ा दिया जाता है यहां तक देखा गया है की कुछ मिलर नान के कर्मचारियों से साठ गांठ करके आरो दीपास्तर को पीडीएफ में मंगाकर अपने मिलिंग का कार्य रूप से करते हैं और जो मिलर नियम कानून का पालन करते हैं शायद उन्हें धक्के खाने के अलावा कुछ नहीं मिलता है जिस तरीके से 2023 और 24 में धान का आरक्षण कर पूरे सतना मिलिंग कार्य को प्रभावित किया गया है वह बहुत ही चिंता का विषय है कई ऐसे मिलर हैं जो कि अपनी मिलिंग चलाने के लिए बैंकों से लोन लेकर मिलिंग का कार्य कर रहे थे परंतु धान उपलब्धता न होने के कारण आज उन्हें डिफाल्टर होने तक की कगार में पहुंच गए हैं जहां सरकार युवाओं को प्रोत्साहन के लिए कई योजना चलाती है परंतु सरकारी अमले के अधिकारी द्वारा जिस तरीके से अपने विभाग के प्रति लोगो ले प्रति व्यवहार करते हैं यह कहीं ना कहीं उचित नहीं है अधिकारियों को अपने कर शैली में सुधार लाना होगा अभी हाल ही में अमित गॉड 94 लाख का जयंत माला समिति समूह कारीगोही में घोटाला कर कुछ कर्मचारियों को फंसा कर चले गए परंतु जिन्होंने इस घोटाले का कोई लेना-देना नहीं है न एफआईआर में नाम नहीं है उनको भी नान से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया जबकि अभिषेक त्रिपाठी और राहुल द्विवेदी नान की पूरी व्यवस्था को बहुत अच्छे से संभालते थे परंतु अचानक उन लोगों को बिना अपराध नान के ऑफिस के कार्य से सेवाओं से मुक्त कर दिया गया यह भी अच्छी व्यवस्था के अनुरूप में नहीं आता है जबकि पूरे घोटाले की अभी जांच चल रही है परंतु प्रश्न यह उठता है कि इस घोटाले को इतना अन्नान फनन में घोटाले को अंजाम दिया गया जहां एक तरफ किसानों को 15 दिन से 1 महीने तक में भुगतान किया जाता है परंतु इस घोटाले से संबंधित किसानों का भुगतान 2 दिन में कर दिया गया यह है बहुत ही गंभीर विषय है अब यह भुगतान किसके इशारे में यह भुगतान किया गया और कराया गया यह भी जांच का विषय है इन दोषियों के खिलाफ भी कार्यवाही होना चाहिए लाइफ इंडिया न्यूज़ चैनल नान ऑफिस के ऊपर हमेशा नजर बनाए रखे हुए है और आगे भी बनाए रखेगा किसी भी प्रकार का लापरवाही आगे होती है उसे लापरवाही को तत्काल अपने न्यूज पेपर के अंक में प्रकाशित कर और अपने चैनल के माध्यम से समय-समय पर सरकार और नान के विभाग को जगाने का प्रयास करेगा