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हेडलाइट की रोशनी जांची जाएगी लक्स मीटर से:गाड़ियों में शीशों की जांच होगी टिंट मीटर से, मौके पर 2000 रु. जुर्माना

छत्तीसगढ़ में सख्त पाबंदियों के बावजूद गाड़ियों में ब्लैक या डार्क फिल्में लगाने का सिलसिला बंद नहीं हुआ, और ऐसी फिल्में अफसरों की गाड़ियों में ज्यादा हैं। इन्हें रोकने और सख्त कार्रवाई के लिए पुलिस हाईटेक टिंट मीटर मशीनें खरीदने जा रही है। हर जिले में भेजी जाने वाली ये मशीनें किसी भी शीशे में टच करते ही बता देंगी कि कांच पारदर्शी है, या फिल्म लगी है और वह कितनी पारदर्शी है।

ऐसी गाड़ियों से तुरंत 2000 रुपए जुर्माना वसूला जाएगा। इसी तरह, बिना डिवाइडर वाली सड़कों पर रात में हादसों की वजह से पुलिस गाड़ियों की हेडलाइट की तीव्रता जांचने के लिए लक्स मीटर खरीदने की तैयारी कर रही है। दरअसल गाड़ियों में अभी मोडिफाइड लाइटें लग रही हैं, जिनकी रोशनी इतनी अधिक रहती है कि सामने से आने वाले वाहनचालकों के लिए एक-दो सेकंड का कंप्लीट अंधकार हो जाता है। हादसे इसी कारण हो रहे हैं।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि दोनों मशीनें 30 लाख रुपए में खरीदी जाएंगी। अभी तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, चंड़ीगढ़ और बेंगलुरु में ट्रैफिक पुलिस टिंट मशीन से ब्लैक फिल्म की कार्रवाई कर रही हैं। काले या डार्क शीशों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दिशा-निर्देश है कि कारों के शीशे पारदर्शी होने चाहिए। डोर-विनडो में ऐसी फिल्में लगें जिनसे भीतर का साफ-साफ दिखे। इसी तरह, गाड़ियां में परदे लगाना भी बैन है।

पुलिस का मानना है कि आम लोग तो इसका उल्लंघन कर ही रहे हैं, अफसरों की गाड़ियों में इक्का-दुक्का को छोड़कर सभी में डार्क शीशे या परदे लगे हैं। इसलिए इन पर उपकरणों से कार्रवाई की तैयारी है, ताकि इसके नतीजों को चैलेंज न किया जा सके।

दंड का भी प्रावधान

  • केंद्रीय मोटरवाहन नियम 1989 के तहत गाड़ियों के शीशे डार्क नहीं होने चाहिए।
  • विंडो के साथ-साथ पीछे का शीशा कम से कम 70 प्रतिशत पारदर्शी होना चाहिए।
  • वाहनों में 30% ही गार्ड फिल्म का उपयोग कर सकते हैं, पर यह भी पारदर्शी रहे।
  • वाहन अधिनियम 1988 की धारा 177 और 179 के तहत इसमें दंडात्मक कार्रवाई।

सुरक्षा कारणों से डार्क शीशे बैन, टिंटेड ग्लास की छूट
पुलिस ने बताया कि गाड़ियों में काले शीशे या ब्लैक फिल्म नहीं लगवा सकते। इसके पीछे वजह यह है कि आपराधिक घटना या वारदात में गाड़ियों का उपयोग होता है। गाड़ियों के शीशे पारदर्शी नहीं होने से अपराधी इसका फायदा उठाते हैं। गाड़ी के भीतर आपराधिक गतिविधियां करते हैं। इस वजह से कार के शीशों पर काली फिल्म लगाना पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है। हालांकि टिंटेड ग्लास का इस्तेमाल करने की छूट है।

ऐसे काम करता है लक्स मीटर
लक्स मीटर प्रकाश और हवा की तीव्रता मापती है। गाड़ियों के हैडलाइट में प्रकाश के पैमाने का पालन नहीं किया जा रहा है। कम रोशनी वाले हैडलाइट लगाए जा रहे हैं। इससे सड़कों के गड्‌ढे, बैठे मवेशी अन्य चीजें दिखाई नहीं देती है। दूर तक रोशनी नहीं जाती है। इससे सड़क हादसाें का खतरा बढ़ता ही जाता है।

नियम तोड़े तो लाइसेंस सस्पेंड
पुलिस नया सिस्टम बना रही है, जिसके मुताबिक अगर किसी व्यक्ति ने तीन माह में एक गाड़ी 5 से ज्यादा बार ट्रैफिक नियम का उल्लंघन किया, तो चालक का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया जाएगा। उसके बाद भी नियमों का उल्लंघन जारी रहा तो संबंधित गाड़ी का रजिस्ट्रेशन सस्पेंड करने की कार्रवाई शुरू की जाएगी।

हाईटेक मशीन से होगी जांच कार्रवाई भी

“पुलिस मुख्यालय टिंट मीटर और लक्स मीटर खरीदने जा रहा है। अभी राज्य में डार्क शीशे की जांच की कोई मशीन नहीं है। इसलिए मशीन खरीदकर कार्रवाई आगे बढ़ाएंगे।” -गुरजीत सिंह, डीएसपी ट्रैफिक

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Author: liveindia24x7