जिला ब्यूरो हुकुम सिंह तेकाम
रायसेन l मनरेगा अधिनियम अनुसार मनरेगा योजना का क्रियान्वयन सही तरीके से किया जा रहा है या नहीं किया जा रहा है यह परखने के लिए वर्ष में दो बार सोशल ऑडिट कराने का प्रावधान है किंतु सरकारी मशीनरी की लापरवाही के कारण बिगत दो वर्षों से मनरेगा के किए गए कार्यों का सोशल ऑडिट नहीं कराया गया जब मीडिया में यह खबर सामने आई तो शासन प्रशासन में हड़कंप मच गया और म.प्र.स्टेट सामाजिक संपरीक्षा समिति भोपाल द्वारा 16 अगस्त 23 को आनन फानन में मनरेगा सोशल ऑडिट कराने के निर्देश जारी किए गए
सोशल ऑडिट कराने से संबंधित आवश्यक व्यवस्थाओं की अनदेखी करते हुए बिना पूर्व तैयारी के यह आदेश जारी किए गए हैं इससे यह आशंका बलवती होती है कि सोशल आडिट कराने के नाम पर खानापूर्ति कराने की तैयारी चल रही है इससे साफ पता चलता है, मनरेगा प्रावधानों की धज्जियां उड़ाने वाले तथा सोशल ऑडिट को पलीता लगा कर सरकार विरोधी माहौल बनाने वाले अफसर जनहितैषी मुख्यमंत्री की छवि को धूमिल करने का पूरा मन बना चुके हैं
2 वर्ष पूर्व किए गए कार्य की गुणवत्ता एवं उपयोगिता सोशल ऑडिट में कैसे सिद्ध करेंगे इसको लेकर निर्माण एजेंसियां ग्राम पंचायत एवं ग्राम सामाजिक एनिमेटर चिंतित है म.प्र. स्टेट सामाजिक संपरीक्षा समिति भोपाल कार्यालय 11 सितंबर से सोशल आडिट कराने के आदेश जारी कर चुका है जबकि अभी ग्राम सामाजिक एनिमेटर वी एस ऐ को विगत वर्ष किए गए कार्य के बकाया मानदेय का भुगतान नहीं हुआ है प्रिंट आउट फोटोकॉपी के विगत वर्ष के बिलों का भुगतान भी अभी तक नहीं किया गया है ब्लॉक एवं जिला कोऑर्डिनेटर को वेतन के लाले पड़े हैं यात्रा भत्ता से संबंधित संशोधित निर्देश जारी नहीं हुए हैं, सोशल ऑडिट करने वाला अमला आज भी जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत सीईओ के प्रशासनिक नियंत्रण में है सोशल ऑडिट के जानकारों का मानना है कि भोपाल में बैठे हुए अधिकारियों ने सोशल ऑडिट के मूल उद्देश्य – योजना के क्रियान्वयन में निष्पक्षता एवं पारदर्शिता को समाप्त कर दिया है

Author: liveindia24x7



