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बसपाई नेता धर्मवीर सरोहा ने कहा भीम आर्मी चीफ चंद्रशेषर आजाद कांशीराम के मिशनरी नही है

आजाद बहुजन समाज पर एहसान करे ब्रैकेट से कांशीराम का नाम हटा दें

ब्यूरो चीफ संजय कुमार गौतम

चित्रकूट साथियो चंद्रशेखर भाई के बारे कुछ कहना चाहता हूं कि अगर इनके समर्थको के पास कोई ऐसा तथ्य है जिससे ये पता चले कि ये मान्यवर साहेब की पार्टी के लिए भी 2020 से पहले कभी खड़े दिखाई दिए हो तो फोटो या विडियो भेजे, हमे भी तो पता लगे कि ये मान्यवर के कितने बड़े मिशनधारी रहे है जो अपनी पार्टी के नाम मे ब्रैकेट मे कांशीराम लिखवा रहे है| अगर वो उनके समर्थक कभी रहे ही नही तो कम से कम मान्यवर कांशीराम साहेब के नाम को ब्रेकैट से निकाल कर उनके सच्चे अनुनाईयो पर अहसान ही कर दे| अंतिम सच्चाई यही है कि दलित समाज के ऊपर जब भी कोई अत्याचार होता है तो बसपाई उनके पीछे खड़े हो जाते है, ऐसे ही 2017 मे दलित ठाकुरो के मध्य हुए झगड़ो मे बसपाई चंद्रशेखर के पीछे खड़े हो गए थे और इनको हीरो बना दिया था| चंद्रशेखर ने इसी मौके से मिली शौहरत का फायदा उठाकर बसपा को धोखा देकर खुद को मीडिया और मनुवादी ताकतो की मदद से दलितो का रहनुमा साबित करने का खेल रचा तथा आजकल जहां भी बसपा मजबूत है वहीं वोट काटने के लिए पहुंच जाता है।मेरा ये आंकलन है, आप असहमत हो सकते हो लेकिन तथ्यात्मक विरोध कीजिये| पुना पैक्ट 1932 से लेकर 2023 तक इतिहास को देखा और समझा जाये तो यही बात साबित होती आई है कि निजी स्वार्थो की पुर्ति ने दलितो को डॉ अम्बेड़कर, मान्यवर कांशीराम जीऔर बहनजी जैसे चट्टानी इरादो वाले व्यक्तित्व कम दिए और 1-2 सीट वाले नेतागिरी के भुखे लोग ज्यादा दिए है| दलितो की स्वतंत्र राजनीति 1-2 सीटो के लिए जुगाड़ फिट करना नही बल्कि सत्ता के शीर्ष पर लक्ष्य साधना है| बाकी आपकी समझ, 500-700 वोट पाकर अपने बड़बोलेपन से मेश्राम और उदित राज भी प्रधानमंत्री बन चुके है, चंद्रशेखर भी जल्द बन ही जायेगा| इनसे मन भर गया तो मनुवादी मीडिया और नया चेहरा पेश कर देंगे।

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Author: liveindia24x7