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माचिस से उठी चिंगारी।

धार। ब्यूरो चीफ़ सुनील कुमार विश्वकर्मा।

धार । राजनीति में माचिस ने ज़बर्दस्त हलचल पैदा कर रखी है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय श्यामा चरण मुखर्जी ,संगठन की कसमें खाने वाले आज पार्टी को खा रहे हैं। धार ज़िले की राजनीति में बड़ा भूचाल मचा हुआ है। भारतीय जनता पार्टी समय के पहले राजनीतिक क़द से अधिक देने वाली और महिममाडित करने वाली पार्टी बनकर रह गई है। कसमें वादे , वादो क्या? जो कल तक भारत माता की जय संगठन को गढ़े चलो, सु पंथ पर बढ़े चलो का नारा लगाने वाले आज महत्वकांक्षा का नारा लगा रहे हैं। राजनीति में वर्तमान भाजपा संगठन हो या कांग्रेस दोनों ही दल में महत्वकांक्षा ने घर कर लिया है ।समय से पहले सभी विधायक बनना चाहते हैं। अपनी पहचान तो ये इन दलों के नाम पर क़ायम करते हैं। लेकिन घाव भी इन्ही दलों को गहरा देते हैं।

अब इन राजनीतिक दलों को समझना पड़ेगा।

उम्र और ज़मीनी काम देखकर कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ाना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी के अनुशासन को सबसे ज़्यादा नुक़सान अति महत्वाकांक्षी लोगों के आ जाने से हुआ है। ज़मीनी आधार नहीं फिर भी संगठन पर बड़े बड़े पद प्राप्त कर लेते हैं। और पार्टी संगठन पुनः पार्टी में लेकर इनको माहिम माडित करता है। जिससे ईमानदार मेहनती कार्यकर्ता ठगा सा महसूस करता है। कांग्रेस या भाजपा दोनों ही दल को ऐसे लोगों को प्राथमिकता नहीं देना चाहिए ।जो संगठन के अनुशासन को और उसकी रीति नीति को नुक़सान पहुँचाए। महत्वाकांक्षाओं का जन सेवा और राष्ट्र सेवा से कोई लेना देना नहीं है। कुर्सी मात्र इनका सपना होता है जो इनका अपना होता है। लोकतंत्र में सरकार तो किसी भी दल की बने लेकिन दलीय भावना पर चलने वाला लोकतंत्र, ऐसा करने से ठगा सा रह जाता है। अनेक ऐसे कार्यकर्ता है ।जिन्होंने जीवन खपा दिया लेकिन संगठन को कभी नुक़सान नहीं पहुंचाया है।और ऐसे अनेक नाम है जो जिलाध्यक्ष भी रहे हैं खेमराज पाटीदार दिलीप पटौदिया रमेश धाढ़ीवाला राज वर्फा, ऐसे नाम है जिनको पार्टी ने कभी प्राथमिकता में नहीं रखा लंबा अनुभव और संगठन की रीति नीति को समझने वाले लोग लेकिन कभी पार्टी के साथ खेला नहीं किया। भाजपा ने और कुछ लोगों को बिना ज़मीन के ऊपर से सिलेक्शन करके भेजा है आगे चलकर रहा और मुश्किल कर देंगे। क्योंकि उनकी लाइन यही है । सोमानी जी प्रदेश संगठन के निर्देश पर कुर्सी के महत्वाकांक्षी लोगों पर बिलकुल सही क़दम उठाया । कड़ा संदेश ज़रूरी था। वरना परंपरा क़ायम की जाती।

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Author: liveindia24x7