सलवानी अखण्डता व सहयोग एक ही सिक्के के दो पहलु होते है, सिक्के के दोनो ही पहलु को हमेषा ही सम रुप में रहना चाहिए, ताकि सहयोग व अखण्डता से कठिनतम कार्य भी सहज रुप में हो सके। समाज में अखण्डता व श्रावको में परस्पर सहयोग की भावना ना होने से बने बनाए कार्य में अड़चन उत्पन्न हो जाती है यह उद्गार आर्यिका वैराग्यमती माताजी ने सिद्व चक्र महामंडल विधान व विश्व शांति महायज्ञ के समापन अवसर पर सोमवार को समाजजनो के बीच व्यक्त किए। पाण्डुक षिला जिनालय मंे अखण्ड दिगंबर जैन समाज व चातुर्मास धर्म प्रभावना समिति के द्वारा 8 दिनी कार्यक्रम राष्ट्रसंत आचार्य विद्यासागर महाराज की परम प्रभावक षिष्या आर्यिका वैराग्यमती माताजी के ससंघ सानिध्य में किया गया आर्यिका माताजी ने बताया कि समाज में कभी भी अहंकार का भाव विद्यमान नही होना चाहिए। जिस समाज में एकता नही होती है परस्पर बैमस्यता रहती है वह समाज कभी भी एकता की माला में नही नही बंध सकती है। समाज खण्ड खण्ड ना होकर अखण्ड रहे व जैनत्व की पताका चारो दिषाओ में ंदैदीयमान हो, इसका दायित्व सभी समाजजनो का होता है। समाज में कोई छोटा और बड़ा नही होता है बल्कि समानता का भाव होता है। एैसी समाज उत्तरोत्तर बृद्वि करती है। यह विधान किसी एक के सहयोग से नही अपितु सभी समाजजनो के सहयोग व एक जुटता से बगैर किसी व्यवधान के सानंद संपन्न हुआ है। जो कि अखण्ड दिगंबर जैन समाज की एकता व कार्य के प्रति सक्रियता व समर्पण को दर्शाता है उन्होने कान भरने वालो से सतर्क रहने का भी आव्हाण किया । आर्यिका माताजी ने देश दुनिया की सुख व समृद्वि की कामना भी की। यहां पर आर्यिका माताजी ने सिद्व चक्र महा मंडल विधान मे शामिल होने वाले सभी पात्रो, आयोजक समिति, प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से सहयोगी वाले कार्यकर्ताओ को आषीर्वाद प्रदान किया स्वर्ण व रजत कलश से की शांतिधारा-विधान के समापन दिवस सोमवार को स्वर्ण कलष से श्रीजी शांतिधारा हुकुम चंद्र, मुकेष कुमार, संस्कार कुमार जैन व रजत कलष से पटेल नवीन कुमार, निखिल कुमार, अक्षय कुमार जैन के द्वारा की गई। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में समाजजन शामिल हुए निकाला गया चला समारोह अष्ट दिवसीय सिद्व चक्र महामंडल विधान व विष्व शांति महायज्ञ के समापन पर सोमवार को कार्यक्रम स्थल पाण्डुक षिला जिनालय से सुबह के समय चल समारोह निकाला गया। जो बजरंग चौराहा, गांधी चौक, पुराना बस स्टेण्ड, अंबेडकर वार्ड आदि स्थानो से गुजरता हुआ बुधवारा बाजर स्थित पारसनाथ जिनालय पहुंचा। यहां पर चल समारोह का समापन किया गया। आर्यिका वैराग्यमती माताजी, आर्यिका प्रषममती माताजी, आर्यिका सहजमती माताजी व आर्यिका धवलमती माताजी के सानिध्य में निकाले गए चल समारोह में विषेष रथ में विधान के पात्र सवार थे। चल समारोह के पूर्व विधान के सभी पात्रो के द्वारा विष्व शांति की कामना के लिए हवन किया गया 5 पालकी में श्रीजी को किया गया विराजमान चल समारोह में 5 पालकी में श्रीजी की प्रतिमाओ को विराजमान किया गया। इन पालकी को समाजजन श्रद्वा पूर्वक कंधे पर उठाए जयकारा लगाते हुए चल रहे थे। स्थान स्थान पर समाजजनो के द्वारा पालकी में विराजमान श्रीजी की प्रतिमाओ की आरती उतारी गई।

Author: liveindia24x7



