खण्ड खण्ड ना होकर अखण्ड रहो व जैनत्व का पताका चारो दिशाओं में दैदीयमान हो – आर्यिका वैराग्यमती माताजीविश्व शांति की कामना कर सिद्व चक्र महामंडल विधान का हुआ समापन, आर्यिका संघ के सानिध्य मे निकाली गई शोभायात्रा
सलवानी अखण्डता व सहयोग एक ही सिक्के के दो पहलु होते है, सिक्के के दोनो ही पहलु को हमेषा ही सम रुप में रहना चाहिए, ताकि सहयोग व अखण्डता से कठिनतम कार्य भी सहज रुप में हो सके। समाज में अखण्डता व श्रावको में परस्पर सहयोग की भावना ना होने से बने बनाए कार्य में