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गमेसा हीरो फ़्यूचर एनर्जी कंपनी के लिए राजस्व रिकॉर्ड में मनमाने तरीक़े से बनाये गये नियम , ग़रीब आदिवासी किसान की ज़मीन का किया गया उपयोग

धार, ब्यूरो चीफ़ सुनील कुमार विश्वकर्मा

धार ।बदनावर तहसील में राजस्व रिकॉर्ड में अधिकारियों द्वारा मनमाने तरीक़े से भूमि आवंटन कर दी गई और कंपनी को लाभ पहुंचाया गया है, ग़रीब किसान और आदिवासी बस्तियों की भूमि इतने आसान तरीक़े से आवंटित की गई कि आज तक इसका कोई निराकरण नहीं हो पाया है। माना कि कंपनी ने सरकार से अनुबंध किया था लेकिन शासकीय और रिक्त भूमि का अनुबंध सरकार ने किया होगा लेकिन स्थानीय तौर पर कंपनी ने आदिवासी बस्ती जो 100 वर्षों से स्थापित थी उन बस्तियों की भूमि कैसे आवंटित हो गई , उस सरकारी अमले ने इसकी कोई जाँच पड़ताल क्यों नहीं की और कंपनी द्वारा किसानों के खेत की मेड़ पर पांइट लगाकर आदिवासियों को दबाकर प्रशासन के साथ मिलकर , अपने पवन चक्की पाइंट स्थापित कर दिए गए ,इंद्रावल में बानेश्वर पिता चेना के खेत सर्वे नंबर,423/4 रक़बा 1.075 से लगा हुआ शासकीय सर्वे नंबर,423/1 पर स्थापित पाइंट उक्त किसान के अधिकारों का हनन करता है,क्योंकि शासकीय सर्वे नंबर किसान की भूमि से लगा हुआ है।प्रथम दृष्टि में देखने पर कंपनी के पाइंट की ऊँचाई 350 फ़ीट प्रतीत हो रही हैं और किसान का खेत मुश्किल से 100 फ़िट दूर है । अब सवाल यह खड़ा होता है कि पाइंट की ऊँचाई के अनुसार भूमि,कंपनी को आवंटित की गई थी फिर किसान के खेत से लगता हुआ पाइंट कंपनी ने क्यों लगाया , और किसान से क्या इसकी सहमति प्राप्त की ? नियमानुसार तो कंपनी को चारों तरफ़, 350 फ़ीट भूमि की आवश्यकता थी, अब किसान का खेत भी, 350 फ़िट में आ जाता है।100 फ़ीट की गैप में रास्ता भी बना लिया और यह काम राजस्व अधिकारियों द्वारा मनमाने तरीक़े से किया गया है।किसान इस संबंध में माननीय न्यायालय में भी गया लेकिन कंपनी की ओर से अधिकारियों द्वारा न्यायालय को सही जानकारी नहीं दी गई ,और

न्यायालय को बताया गया है कि कंपनी को शासकीय भूमि आवंटित की गई लेकिन वास्तविक रूप से उसके वेरीफिकेशन को कोर्ट से छुपाया गया है ।क्षेत्र में अनेक कम्पनियां अब पवन चक्की स्थापित कर रही है ,और उनको ऊँचाई के अनुसार जितनी भूमि चारों तरफ़ चाहिए, उतनी भूमि वे ख़रीद रहे हैं,अब शासन से अनुबंध करने वाली कम्पनी ने नियमों का प्रथम दृष्टि उल्लंघन किया है ,और राजस्व अधिकारी लगातार उस समय पर कार्यरत अधिकारियों की गलतियों को छुपाकर न्यायालय में सही जानकारी उपलब्ध नहीं करवा रहे हैं,जिस वक़्त भूमि आवंटित की गई ,उन सभी अधिकारियों

की लोकायुक्त जाँच होनी चाहिए ,क्योंकि उन्होंने कंपनी से लाभ उठाने की शंका लगती है और प्रशासन की शक्तियों का ग़लत उपयोग किया गया है ,अगर ऐसा नहीं है,तो फिर वास्तविक सत्यापन क्यों नहीं किया जा रहा है?

प्रथम सवाल- जब शासन से भूमि आवंटित हुई तो उनका वास्तविक सत्यापन क्यों नहीं हुआ?

द्वितीय सवाल-जब शासन से भूमि आवंटित हो गई और ज़रूरत से अधिक रक़बा आवंटित कर दिया गया,तो फिर किसान की निजी स्वामित्व वाली भूमि के पास पाइंट कैसे स्थापित किया गयाऔर किया गया, तो किसान से इसकी लिखित सहमति ली क्या?

तीसरा सवाल- आबादी के पास पाइंट कैसे स्थापित कर दिया गया, और किया गया तो आबादी की समुचित व्यवस्था क्यों नहीं की गई?

चौथा सवाल- कम्पनी ने पौधारोपण , शिक्षा ,जनहित के उपयुक्त कार्य ग्राम पंचायतों में सार्वजनिक लाइट की व्यवस्था सौर ऊर्जा के माध्यम से क्यों नहीं किया ,सिर्फ़ इन ग्राम पंचायतों की भूमि का उपयोग कंपनी ने कर लिया?

पाँचवा सवाल? अनेक पाइंट ऐसे स्थापित कर दिए जिनकी सार्वजनिक रास्ते व प्रधानमंत्री सड़क योजना की सड़क से दूरी बहुत कम है।

छँटा सवाल- जब कंपनी को भूमि की ज़रूरत थी तब सिक्योरिटी गार्ड भर्ती किए गए थे लेकिन उनका तीन चार वर्ष तक उपयोग करके उनको बेरोज़गार छोड़ दिया गया, और 70 ॰/॰ कर्मचारी जो सुरक्षा में थे, उनको निकाल दिया गया ऐसा क्यों किया ? कोई भी उद्योग स्थापित होता है, तो रोज़गार बनाने के लिए स्थापित किया जाता है ,ना कि बेरोज़गारी बढ़ाने के लिए।

सातवाँ सवाल- कंपनी के किसी भी पाइंट के पास कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं है ,और कंपनी ने अनेक मानवीय पहलुओं को नज़रअंदाज़ किया है अगर भविष्य में आँधी तूफ़ान या कोई प्राकृतिक आपदा आती है ,और जनहानि होती है ,तो इसका जवाबदार कौन होगा, कंपनी या वे अधिकारी जो काम पूरा कर चले गए?वर्तमान में सरदारपुर तहसील के अंतर्गत कार्यरत कंपनी स्प्रिंग से नियमों की तुलना की गई तो उक्त गमेसा कंपनी नियमों का उल्लंघन कर रही है स्प्रिंग कंपनी के नियमानुसार प्रधानमंत्री सड़क योजना में रोड से पाइंट की दूरी 230 मीटर होनी चाहिए। आबादी क्षेत्र में भी यही नियम है और ख़रीदी गई भूमि या लीच पर प्राप्त भूमि के सेंटर पाइंट पर पवन चक्की स्थापित करना होता है और पाइंट की ऊँचाई के अनुसार चारों तरफ़ भूमि होना चाहिए।

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Author: liveindia24x7