सरकारी संस्थाओं की कार्यप्रणाली में लापरवाही का मामला शिक्षा विभाग में सामने आया है। कोरोनाकाल के दो साल से साइकिल से वंचित स्कूली विद्यार्थी इस साल भी पैदल ही स्कूल पहंुचे। अब परीक्षाएं सिर पर हैं लेकिन अबतक उन्हें साइकिल नहीं मिली। विद्यार्थी परीक्षा देने भी साइकिल से जा पाएंगे या नहीं इसे लेकर संशय है। ब्लाक के 523 विद्यार्थी शासन की इस योजना से अब तक वंचित हैं।
किल्लौद ब्लाक में छठवीं के 80 छात्र व 70 छात्राएं तथा 9वीं के 120 छात्र तथा 163 छात्राएं शामिल हैं। यह छात्र-छात्राएं आसपास के गांवों से पैदल स्कूल पहुंच रहे हैं। सरकार की इस योजना का लाभ विद्यार्थियों को स्कूल सत्र प्रारंभ होने के समय ही मिलना चाहिए ताकि वे आसानी से कम समय में स्कूल पहुंच सकें और बगैर थकान के पढ़ाई कर सकें। फिलहाल पैदल आने-जाने में उनका समय भी खराब होता है और थकान के कारण पढ़ाई भी प्रभावित होती है।
तीन हफ्ते से तैयार हो रही साइकिल
शासन ने किसी बाहरी कंपनी को साइकिल का ठेका दिया है। कंपनी द्वारा पहले सीएम राइज स्कूल में साइकिल तैयार करना शुरू किया था। बोर्ड परीक्षा सिर पर होने और बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने को लेकर विद्यार्थियों व पालकों की आपत्ति को भास्कर ने प्रमुखता से उठाया। इसके बाद डीईओ ने इन्हें एक छात्रावास में शिफ्ट कर दिया। तीन सप्ताह से साइकिल तैयार हो रही है। यह कब वितरित होगी इसे लेकर कोई अफसर नहीं बता पा रहा है।
गुणवत्ता की जांच भी नहीं
ब्लाक के एक छात्रावास में बड़ी संख्या में साइकिल तैयार की जा रही हैं। यहां सिर्फ कंपनी के कर्मचारी ही दिखाई दे रहे हैं। कोई शासकीय नुमाइंदा देखने नहीं आया है। साइकिल की गुणवत्ता क्या होगी या कैसी है इसकी भी जांच नहीं की गई। छात्र-छात्राओं को किस गुणवत्ता की साइकिल मिलेगी और कितने दिन चलेगी इसे लेकर भी संशय है। दो साल पहले दी गई साइकिलों की गुणवत्ता भी ठीक नहीं थी। समय से पहले ही कबाड़ हो गई थीं।
हमारी कोई भूमिका नहीं
हमारा काम सिर्फ साइकिल वितरण कराने का है। जैसे ही कंपनी हमें साइकिल निर्मित करके देगी हम सत्यापन कराकर विद्यार्थियों को वितरित कर देंगे। साइकिल वितरण में विलंब में हमारी कोई भूमिका नहीं है। यह शासन स्तर का मामला है।
पीएस सोलंकी, प्रभारी डीईओ खंडवा
… इधर, पढ़ाई के लिए रोज 12 किमी पैदल चल रहीं मामा की भांजियां
छैगांवमाखन ब्लाक के ग्राम दुगवाड़ा व बामझर की छात्राएं अतर स्कूल पढ़ने जाती हैं। यह 6 किमी दूर है। उन्हें रोज जाने-आने में 12 किमी पैदल चलना पड़ रहा है। पूरा निकलने के बाद भी साइकिल नहीं मिली। परेशान होकर उन्होंने मंगलवार को सरपंच पूजा ठाकुर को ज्ञापन देकर साइकिल दिलाने की गुहार लगाई। गांव से अतर जाने के लिए बस या अन्य कोई साधन भी समय पर नहीं मिल पाते हैं।
सरपंच ठाकुर ने बताया मैं आपकी समस्या से विधायक राम दांगोरे को अवगत करा दिया है। उन्होंने जल्द निराकरण का आश्वासन दिया है। इस संबंध में प्रभारी डीईओ पीएस सोलंकी ने कहा जिन एजेंसियों को साइकिल तैयार करने का ठेका दिया है उन्होंने 90 फीसदी काम पूर्ण कर लिया है। संभवत: एक सप्ताह में साइकिल वितरण प्रारंभ हो जाएगा।