धार, ब्यूरो चीफ़ सुनील कुमार विश्वकर्मा!
अमझेरा, पंडित प्रवीण शर्मा से ख़ास बातचीत में उन्होंने पितृ पूजन की विधि शास्त्र के अनुसार बतायी!
इस प्रकार से हो सकती है , हो सकती है पितृ पूजन ! गया में श्राद्ध करने के बाद हमारे यहां पिंडदान तर्पण आदि कर सकते हैं हमारे माता-पिता और पूर्वजों के लिए पिंडदान तर्पण अवश्य करना चाहिए,,,, इन शास्त्रों के अंदर इसका प्रमाण है ,,योगिनी ग्रंथ के अनुसार शास्त्र वेद उपनिषद बड़े-बड़े ज्योतिष आचार्य व शास्त्रियों के अनुसार,, स्वरूपानंद आदि गुरु शंकराचार्य जी के द्वारा भी कहा गया है गयाजी में श्राद्ध करने के बाद भी हमारे यहां पितृ की निमित्त श्रीमद् भागवत महापुराण का आयोजन अनेको बार कर सकते हैं और एक से अधिक बार गया में पिंडदान भी कर सकते हैं,, पितृ के निमित्त अर्थ हमारे यहां ब्राह्मण भोजन व तर्पण अवश्य करते रहना चाहिए पितरों को संतुष्टि प्राप्त होती,,शास्त्र अनुसार गया जी में भगवान के पैर,,, है हरिद्वार में भगवान की नाभिए और बद्री का आश्रम में भगवान का कपाल है यह प्रमाण स्कंद पुराण के अंदर प्राप्त ,, इसीलिए हमारे यहां शास्त्र अनुसार !! पूजन प्रतिष्ठा गृह प्रवेश विवाह इन में भी पितरों का पूजन ब्राह्मण भोजन किया जाता है,, फिर गया में पिंडदान के बाद घर कैसे नहीं कर सकते हैं अवश्य करना चाहिए,,, पितृ शुरू पर जनार्दन देवता प्रियता नमः,, समस्त मांगलिक कार्य श्रीमद् भागवत महापुराण ,,गृह प्रवेश ,,देव प्रतिष्ठा के लिए संपर्क करें ,,अमझेरा ठा, प्रवीण पंडित मोबाइल नंबर 98267 58129